Farmers Income: कृष‍ि विश्वविद्यालय की पहल, किसानों को जहां से मिलें बीज, वहीं बिके उपज

Farmers Income: कृष‍ि विश्वविद्यालय की पहल, किसानों को जहां से मिलें बीज, वहीं बिके उपज

खेती-बाड़ी के लिहाज से बुंदेलखंड को देश का चुनौती भरा इलाका माना जाता है. यहां खेती को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए सरकार और संस्थाओं की ओर से लगातार उपाय किए जा रहे हैं. इस कड़ी में झांसी स्थित केंद्रीय कृष‍ि विश्वविद्यालय Innovative Ideas के साथ उन्नत खेती के उपाय विकसित कर उन्हें किसानों के खेत तक पहुंचा रहा है.

tur dal procurementtur dal procurement
न‍िर्मल यादव
  • Jhansi,
  • Jan 02, 2024,
  • Updated Jan 02, 2024, 10:50 AM IST

तमाम सरकारी और गैरसरकारी शोध संस्थानों की ओर से किसानों को उन्नत बीज तो दे दिए जाते हैं, मगर इन बीजों की उपज से होने वाले लाभ हानि का जोखिम किसानों को ही उठाना पड़ता है. इस जोखिम से किसानों को उबारने के लिए झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृष‍ि विश्वविद्यालय ने एक अनूठी पहल की है. इसका मकसद बाजार और किसानों तक उन्नत बीज पहुंचाने वाली एजेंसियों की जवाबदेही तय करने के लिए विश्वविद्यालय ने अधिक उपज देने वाले शोध आधारित बीज किसानों को वितरित करने के बाद इनकी उपज भी खरीदने की शुरुआत की है. उपज की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP (Minimum Support Price) से अधिक कीमत पर की जा रही है. इससे अव्वल तो उन्नत बीजों से उपज बढ़ाने के दावे की पुष्टि खेत से किसानों द्वारा हो जाती है और दूसरा किसानों को उपज का बेहतर दाम मिलने से उनकी आय में इजाफा भी हो रहा है. साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किए जा रहे उन्नत बीजों के प्रति किसानों में विश्वसनीयता भी बढ़ रही है.

इन बीजों की हो रही खरीद

विश्वविद्यालय की ओर से दलहन, तिलहन, श्री अन्न और गेहूं की उन्नत किस्मों के बीज विकसित किए जा रहे हैं. विश्वविद्यालय ने यूपी और एमपी में बुंदेलखंड के लगभग 3 हजार किसानों को ये बीज वितरित कर उनके खेत पर ही इनकी Growth and Yield का विश्लेषण किया. 

ये भी पढ़ें, Copra MSP: केंद्र सरकार ने नारियल की MSP बढ़ाई, एकमुश्त 300 रुपये की हुई बढ़ोतरी

मिल रही 20 फीसदी ज्यादा उपज

डॉ चतुर्वेदी ने बताया कि इसके लिए विश्वविद्यालय के कृष‍ि फार्म पर ही किसानों की उपज का खरीद केंद्र बनाया गया है. उन्होंने बताया कि इस फार्म पर गेहूं, चना, मटर, सरसों, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, उड़द, मूंग, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन और तिल के उन्नत बीज विकसित किए गए हैं.

ये भी पढ़ें, Bonus on MSP : छत्तीसगढ़ में बोनस मिलने से किसानों की बल्ले बल्ले, हजार में नहीं, लाखों में मिला बोनस

वैज्ञानिकों को प्रयोगशाला में इन बीजों से अधि‍क उपज मिलने के संकेत मिले. इसकी पुष्ट‍ि किसानों द्वारा इन बीजों का खेत में इस्तेमाल करने से हुई. विश्वविद्यालय द्वारा ये बीज प्रयोग के लिए इलाके के किसानों को दिए गए. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की देखरेख में इन बीजों का इस्तेमाल करने पर किसानों को सामान्य बीज की तुलना में 20 प्रतिशत तक ज्यादा उपज मिल रही है. इससे प्रयोगशाला में मिले परिणाम की पुष्टि किसानों के खेत में भी हो गई.

किसान और विश्वविद्यालय आए एक साथ

डॉ चतुर्वेदी ने बताया कि बीज देकर उपज खरीदने की योजना से उन्हीं किसानों को जोड़ा जा रहा है, जो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से खेत का निरीक्षण कराकर उनसे बीज प्राप्त करके उनकी उपज ले रहे हैं. इन बीजों से मिली उपज को किसानों से विश्वविद्यालय द्वारा बाजार भाव से 5 प्रतिशत ज्यादा कीमत पर खरीदा जा रहा है.

उन्होंने बताया कि इससे किसानों और कृष‍ि वैज्ञानिकों के बीच विश्वविद्यालय के माध्यम से एक नया गठजोड़ बना है. इससे दोनों के बीच परस्पर समन्वय बढ़ने से कृष‍ि विज्ञान और किसान, दोनों का भावी लाभ सुनिश्चित हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि इस योजना का मकसद किसानों की आय में इजाफा करने के साथ उन्नत बीजों के प्रति किसानों में विश्वास को बढ़ाना है.

MORE NEWS

Read more!