यूपी सरकार ने पूरे प्रदेश में Horticulture Crops से किसानों को जोड़ने के लिए उन्नत पौध उपलब्ध कराने के मकसद से पूरे प्रदेश में 150 हाईटेक नर्सरी बनाने की परियोजना शुरू कर दी है. इसके तहत राज्य के 44 जिलों में 56 हाईटेक नर्सरी का निर्माण कार्य चल रहा है. इनमें से 6 जनपदों की 7 हाइटेक नर्सरी बन कर तैयार भी हो गई हैं. इनमें बीज लगाकर पौध तैयार करने के लिए Seedling Production का काम भी शुरू हो गया है. सरकार का दावा है कि हाईटेक नर्सरी से कृषि और बागवानी फसलों के उत्पादन में तेजी से होगी वृद्धि होगी. इस काम से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी जोड़ा जाएगा.
सब्जियों एवं फल की उन्नत पौध तैयार करने के लिए इजरायल के तकनीकी सहयोग से यूपी में हाइटेक नर्सरी बनाई जा रही है. राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर हाइटेक नर्सरी के निर्माण कार्य उद्यान विभाग के सहयोग से हो रहा है. साथ ही इसमें मनरेगा के तहत ग्रामीण मजदूरों को काम भी मिल रहा है और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की दीदियां भी इस काम में हाथ बंटा रही है. इससे स्वयं सहायता समूहों को काम मिल रहा है.
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ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बताया गया कि पूरे प्रदेश में 150 हाईटेक नर्सरी बनने के बाद बागवानी किसानों को उन्नत किस्म की पौध के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. इस परियोजना के तहत जिन जिलों में हाईटेक नर्सरी बन चुकी है उनमें बुलंदशहर, बागपत, वाराणसी, बरेली, मिर्जापुर और मेरठ शामिल हैं. इन जिलों की 7 हाईटेक नर्सरियों में सिडलिंग प्रोडक्शन शुरू होने के बाद पौध तैयार होने लगी है.
अब तक 44 जिलों में 56 हाईटेक नर्सरी बनाने का काम शुरू हो गया है. गौरतलब है कि कन्नौज के उमर्दा में संचालित किए जा रहे Center of Excellence For Vegetable की तर्ज पर ही 150 मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जा रहे हैं. इनमें प्रदेश के सभी जनपदों में दो-दो सेंटर के रूप में हाइटेक नर्सरी बनाई जानी है.
इन नर्सरी में कामकाज का संचालन और देखभाल की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को दी गई है. समूह की सदस्य दीदियां नर्सरी का काम देखती हैं. वे पौधों की सिंचाई, रोग, खाद-बीज आदि का जिम्मा भी संभालती हैं. इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है.
इनमें High Quality एवं improved variety की पौध को बढ़ावा दिया जा रहा है. इनमें किसानों को सब्जी, फूल और फल के साथ औषधीय गुणों वाले पौधों की खेती करने के लिए भी पौध दी जा रही है. इनमें सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच, शतावरी, तुलसी, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधे शामिल हैं. इसका मकसद किसानों को कम लागत में अधिक फायदा दिलाने वाली खेती की नई तकनीक से जोड़ना है. प्रदेश के ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि 150 हाईटेक नर्सरी के निर्माण की परियोजना के तहत 125 हाईटेक नर्सरी बनाने की स्वीकृति जनपद स्तर पर की जा चुकी है.