यूपी के फतेहपुर जिले में इन दिनों किसान खाद की किल्लत को लेकर खासा परेशान दिख रहे हैं. सुबह से ही खाद विक्रय केंद्रों में किसानों की लंबी लंबी लाइन देखी जा रही है. किसानों के मुताबिक सुबह से शाम तक घर और खेत का सारा काम छोड़कर उन्हें खाद के लिए लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है. लेकिन उसके बाद भी जरूरत के अनुसार खाद नहीं मिल पा रही है. कुछ केंद्रों का यह हाल है कि किसानों को लाइन में लगने के बावजूद खाद नहीं मिल पा रही है जिसके कारण किसानों को हंगामा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों ने खाद की कमी मानते हुए पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है.
फतेहपुर जिले में कुल 750 खाद विक्रय केंद्र हैं. सभी विक्रय केंद्रों की स्थिति जस की तस है और किसान खाद लेने के लिए लंबी लाइन लगने को मजबूर हैं. लेकिन उसके बावजूद भी किसानों को आवश्यकता अनुसार खाद नहीं मिल पा रही है. कुछ केंद्र ऐसे हैं जहां केंद्रों में खाद उपलब्ध न होने के कारण किसान केंद्रों से वापस चले आ रहे हैं. खाद नहीं मिलने से फसलों की पैदावार में कमी देखी जा रही है.
किसान प्रताप सिंह ने 'आजतक' को बताया कि गोदामों पर खाद नहीं मिल रही है और गाली गलौज तक हो जाती है. विक्रय केंद्र वाले बोलते हैं कि खाद नहीं मिलेगी चाहे जो करना हो करिए. 1 तारीख को खेत में धान की रोपनी हुई. चार बीघा खेत में खाद नहीं पड़ी है. खाद बांटने के लिए गोदामों पर अधिकारी लोग आए, प्रशासन आया, पुलिस आई और भीड़ देखकर खाद वितरण बंद कर दिया गया. यह कहत हुए कि अब कल खाद बांटी जाएगी.
किसान छोटे लाल ने बताया कि चार पांच बीघे खेत हैं. एक बोरी खाद में क्या होता है. सरकार पता नहीं क्या समझती है. लाइन में लगकर परेशान हैं, खाद मिली नहीं रही.
देवेंद्र सिंह, सचिव, खाद विक्रय केंद्र ने बताया कि गोदाम पर 250 बोरी यूरिया आई और किसान भारी संख्या में जुट गए. जिस हिसाब से किसानों की मांग है, उस हिसाब से यूरिया कम है. किसानों को समझाया जा रहा है कि संतुलित मात्रा में खाद का उपयोग किया जाए. किसान अगर अंधाधुंध यूरिया का प्रयोग करेंगे तो इस तरह की कमी हो सकती है. किसान यहां से एक बोरी यूरिया ले जाता है तो एक बीघे में ही खर्च कर देता है. खाद वितरण सुचारू बनाने के लिए एक लाइन पुरुष की तो एक लाइन महिला की लगाई जा रही है. बारी-बारी से सबको खाद बांटी जा रही है. यहां पर कोई असुविधा नहीं हुई है. इसमें पुलिस प्रशासन का सहयोग मिल रहा है. किसान अगर दबाव डालने की कोशिश करते हैं तो पुलिस प्रशासन की मदद ली जाती है. अभी खाद के इस सेंटर पर कोई समस्या नहीं है.(नितेश श्रीवास्तव का इनपुट)