Urea Fertilizer: कई राज्यों में यूरिया की किल्लत, जानिए इसके पीछे की 3 बड़ी वजहें

Urea Fertilizer: कई राज्यों में यूरिया की किल्लत, जानिए इसके पीछे की 3 बड़ी वजहें

कई राज्यों में यूरिया की भारी कमी देखी जा रही है. जानिए इसके पीछे की 3 बड़ी वजहें- अत्यधिक उपयोग, चीन का निर्यात रोक और अंतरराष्ट्रीय संकट. किसानों की मुश्किलें और सरकार की रणनीति इस लेख में.

एक बार फिर खाद की किल्लत से किसान परेशानएक बार फिर खाद की किल्लत से किसान परेशान
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 25, 2025,
  • Updated Sep 25, 2025, 11:44 AM IST

तेलंगाना के वारंगल जिले के राजापल्ली गांव में 22 सितंबर की सुबह 3 बजे किसान यूरिया के ट्रक की खबर पाकर कृषि सहकारी समिति के दफ्तर पर पहुंच गए. ये नज़ारा केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में भी किसानों को यूरिया की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. तो आइए जानते हैं क्या है यूरिया की कमी के पीछे तीन मुख्य कारण?

1. अत्यधिक उपयोग

इस बार देशभर में दक्षिण-पश्चिम मानसून बेहतर रहा, जिससे किसानों ने अधिक फसल उगाने की कोशिश की और उसी के चलते यूरिया की मांग भी बढ़ गई. कई राज्यों में किसान दोगुनी मात्रा में यूरिया डाल रहे हैं, जिससे स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है.

2. भूराजनीतिक परिस्थितियां

रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय तनावों के कारण यूरिया के कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं और वैश्विक आपूर्ति में बाधाएं आई हैं. इससे भारत में यूरिया की आपूर्ति पर असर पड़ा है.

3. चीन का निर्यात प्रतिबंध

चीन, जो यूरिया का एक बड़ा निर्यातक है, ने अपने घरेलू उपयोग के लिए यूरिया के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसका असर भारत जैसे आयात-निर्भर देशों पर पड़ा है.

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2025 के लिए यूरिया की मांग को 39.67 लाख टन आंका है. हालांकि जुलाई तक 115.91 लाख टन की मांग के मुकाबले 158.34 लाख टन यूरिया आवंटित किया गया था. फिर भी, राज्यों को तयशुदा मात्रा नहीं मिल पा रही है.

राज्यों की स्थिति

  • तेलंगाना: 2 लाख टन यूरिया की कमी है. किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
  • कर्नाटक: खरीफ सीज़न में 2.5 लाख टन की कमी रही और रबी के लिए 7.2 लाख टन की ज़रूरत है.
  • महाराष्ट्र: अच्छी बारिश के बावजूद, यूरिया की कमी फसल विकास में बाधा बन रही है.
  • केरल: बारिश के कारण उर्वरक की मांग बढ़ी लेकिन आपूर्ति कम है.
  • तमिलनाडु: मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आपातकालीन आपूर्ति की मांग की.

नैनो यूरिया: विकल्प या भ्रम?

नैनो यूरिया को विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन चाय जैसी बारहमासी फसलों के लिए यह उपयोगी नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि नैनो यूरिया जड़ों तक नहीं पहुंचता, जिससे जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है.

किसानों की चिंताएं और सरकार की योजनाएं

कई किसान संगठनों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों में जागरूकता की कमी है और वे बिना ज़रूरत के यूरिया का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश सरकार ने 50 किलो की एक बोरी यूरिया का उपयोग न करने पर ₹800 का प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है.

आगे की राह, समाधान की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि चना, मसूर जैसी रबी फसलें ज्यादा नाइट्रोजन की मांग नहीं करतीं. इसलिए यदि किसान जैविक कार्बन और डीएपी (DAP) का सही इस्तेमाल करें, तो यूरिया की कमी का असर कम किया जा सकता है.

देश के कई राज्यों में यूरिया की कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. इसका सीधा असर किसानों की फसल और उनकी आय पर पड़ रहा है. सरकार और किसानों दोनों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा चाहे वह उर्वरक के संतुलित उपयोग के जरिए हो या फिर वैकल्पिक उर्वरकों के सही प्रयोग से.

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