दुनिया भर में खादों के दाम गिरने और घरेलू स्तर पर गैस प्राइसिंग फॉर्मूला बदले जाने के बाद खाद सब्सिडी में गिरावट आने की संभावना है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष में खाद की सब्सिडी 1.75 लाख करोड़ से कम रह सकती है. इस बार के बजट में सरकार ने खाद सब्सिडी का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया है. लेकिन सरकार को इतने रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं होगी. इसी तरह यूरिया सब्सिडी का खर्च भी एक लाख करोड़ से कम रहेगा. देश में सबसे अधिक यूरिया सब्सिडी पर सरकार को खर्च करना होता है. इस बार यह मद भी घटने की संभावना है.
'बिजनेसलाइन' से बातचीत में खाद सचिव अरुण सिंघल ने कहा, मौजूदा वित्त वर्ष में हम यूरिया सब्सिडी को एक लाख करोड़ से कम रख सकेंगे. कुल मिलाकर इस बार पूरी खाद सब्सिडी बजट एस्टीमेट से नीचे रहने की संभावना है. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यूरिया सब्सिडी का अनुमान 1.31 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि आयातीत यूरिया का दाम अभी 330 डॉलर प्रति टन तक गिर गया है जबकि फरवरी के टेंडर में इसकी कीमत 475 डॉलर रही थी. अक्टूबर 2022 में आयात की गई यूरिया का भाव 665 डॉलर प्रति टन पर चल रहा था.
सरकार ने अभी हाल में घरेलू बाजारों में गैस के दाम में बदलाव किया है. इस बदलाव से भी खाद की सब्सिडी नीचे आएगी. हालिया नोटिफिकेशन के मुताबिक गैस का दाम 7.92 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट तय हुआ है. रिविजन से पहले घरेलू गैस का दाम 8.57 डॉलर था. इसलिए गैस के दाम में गिरावट से खाद की सब्सिडी घटाने में मदद मिलेगी.
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ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि फर्टिलाइजर सेक्टर ही सबसे अधिक गैस का इस्तेमाल करता है. कुल गैस का 29 फीसद हिस्सा फर्टिलाइजर सेक्टर में उपयोग होता है. इसमें से 15 परसेंट हिस्सेदारी देश में पैदा होने वाली गैस की है जबकि बाकी का 14 परसेंट आयात की गैस पर निर्भर करता है. इस वजह से खादों के दाम और खाद की सब्सिडी में बड़ा उछाल देखा जाता है. लेकिन आने वाले दिनों में इसमें कमी आएगी. अनुमान के मुताबिक गैस के दाम में प्रति एमबीटीयू एक डॉलर तक की गिरावट आ सकती है.
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हाल के दिनों में खादों के दाम में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है. इसकी वजह है रूस-यूक्रेन युद्ध. भारत रूस और बेलारूस से बड़ी मात्रा में खादों का आयात करता है. लेकिन युद्ध चलने से सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ा है. हालांकि रूस ने भारत की मदद करते हुए खादों की सप्लाई दुरुस्त रखने का भरोसा दिलाया और इस पर भी अमल किया. लेकिन रूस के अलावा जिन देशों से भारत ने खाद आयात किया, वहां अधिक रेट चुकाने पड़े. इसमें एक देश चीन भी है जहां से भारत बड़ी मात्रा में खाद आयात करता है. अभी कुछ दिनों से आयातीत खाद के दाम में गिरावट देखी जा रही है जिससे घरेलू बाजार में भी रेट गिर रहे हैं.