ये हैं आलू की सबसे फायदेमंद बेहतरीन लाल किस्में, जानिए पैदावार और खासियत

ये हैं आलू की सबसे फायदेमंद बेहतरीन लाल किस्में, जानिए पैदावार और खासियत

खेती से भरपूर मुनाफा कमाने का सपना हर किसान का होता है, और आलू की फसल इसमें एक बड़ी भूमिका निभाती है. लेकिन अच्छा मुनाफा तभी संभव है जब आप सही किस्म का चुनाव करें. आज पुरानी किस्मों की जगह कई नई और उन्नत लाल किस्में आ गई हैं जो न केवल ज़्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि बीमारियों से भी बची रहती हैं. आइए, ऐसी ही बेहतरीन किस्मों के बारे में जानते हैं.

potato new varietypotato new variety
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 22, 2025,
  • Updated Sep 22, 2025, 2:37 PM IST

खेती-किसानी से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए, नई जानकारी से अपडेट रहना बहुत ज़रूरी है, चाहे वो फसल की नई किस्म हो या खेती की नई तकनीक. अब आलू की बुवाई का समय आ रहा है, और किसानों को यह जानना चाहिए कि देश के अनुसंधान संस्थानों ने आलू की कई नई और बेहतरीन किस्में तैयार की हैं. अगर आप पुरानी किस्मों को ही उगाते रहेंगे, तो अच्छी पैदावार और बेहतर दाम की दौड़ में पीछे रह सकते हैं. खासतौर पर आलू की लाल किस्मों में अब बहुत सुधार हुआ है. केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के वैज्ञानिक लगातार आलू की बेहतर किस्में विकसित करने में लगे हुए हैं. कई ऐसी नई लाल किस्में विकसित की हैं, जो पुरानी किस्मों के मुकाबले कहीं ज़्यादा पैदावार देती हैं, बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ती हैं और ज़्यादा मुनाफा दिलाती हैं. इन नई किस्मों की बुवाई करके किसान अपनी आमदनी को काफी बढ़ा सकते हैं.

कुफरी कंचन

कुफरी कंचन की खास बात इसका गहरा लाल रंग और लंबा-अंडाकार आकार है. इसका छिलका गहरा लाल, आकार लंबा-अंडाकार और गूदा क्रीम रंग का होता है. यह फसल 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 25-30 टन प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म पिछेता झुलसा रोग के प्रतिरोधी है, जिससे किसानों का दवाइयों पर होने वाला खर्च कम हो जाता है.

कुफरी अरुण

कुफरी अरुण किस्म जल्दी तैयार होने के लिए जानी जाती है. इसका छिलका लाल, आकार अंडाकार और गूदा क्रीम रंग का होता है. इसकी आंखें उथली होती हैं, जिससे इसे छीलना आसान होता है. यह मात्र 80-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी उपज क्षमता 30-35 टन प्रति हेक्टेयर तक है. यह पिछेता झुलसा रोग से लड़ने में काफी हद तक सक्षम है और इसका भंडारण भी मध्यम दर्जे का है.

कुफरी ललित

यह किस्म साल 2013 में विकसित की गई, जो स्वाद और भंडारण क्षमता में बेहतरीन है. कंद गोल, छिलका लाल और गूदा पीले रंग का होता है. यह फसल 90-100 दिनों में तैयार होती है. इसकी उपज 30-35 टन प्रति हेक्टेयर है. यह खाने में बहुत स्वादिष्ट है और इसकी भंडारण क्षमता उत्तम है. यह 6 सप्ताह से ज़्यादा समय तक अंकुरित नहीं होती. इसमें 18% शुष्क पदार्थ होता है, जो इसे प्रोसेसिंग के लिए भी उपयुक्त बनाता है. यह झुलसा रोग प्रतिरोधी भी है.

कुफरी केसर

साल 2017 में जारी यह किस्म भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. इसका छिलका लाल, आकार अंडाकार-गोल और गूदा पीला होता है. यह 80-90 दिनों की जल्दी पकने वाली किस्म है. इसकी उपज क्षमता 30-35 टन प्रति हेक्टेयर है. यह खाने में स्वादिष्ट है. इसकी भंडारण क्षमता अच्छी है और यह भी पिछेता झुलसा रोग से लड़ सकती है.

कुफरी माणिक

यह साल 2019 में विकसित एक आधुनिक किस्म है, जो पोषक तत्वों से भरपूर है. इसका छिलका गहरा लाल, आकार अंडाकार-गोल और गूदा पीला होता है. यह 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी उपज 30-35 टन प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म स्वाद में तो अच्छी है ही, साथ ही इसमें एंथोसायनिन, कैरोटिन, लोहा और जिंक जैसे पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसकी भंडारण क्षमता उत्तम है और यह झुलसा रोग प्रतिरोधी है.

कुफरी नीलकंठ

हाल ही में संस्थान ने एक बिल्कुल अनोखी, बैंगनी छिलके वाली किस्म 'कुफरी नीलकंठ' विकसित की है. यह किस्म न केवल दिखने में आकर्षक है, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसका छिलका हल्का बैंगनी और गूदा मलाईदार सफेद होता है. यह लगभग 100 दिनों में तैयार होती है. इसकी उपज क्षमता सभी किस्मों में सबसे ज़्यादा, 35-40 टन प्रति हेक्टेयर है. इसमें 'एंथोसायनिन' नाम का एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है और हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है.

MORE NEWS

Read more!