इस महीने अंगूर में बंद कर दें सिंचाई, एन्थ्रेक्नोज का प्रकोप हो तो तुरंत डालें ये दवा

इस महीने अंगूर में बंद कर दें सिंचाई, एन्थ्रेक्नोज का प्रकोप हो तो तुरंत डालें ये दवा

अंगूर नई बेलों में सिंचाई 10-15 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए. मई के अंत तक तैयार परलेट और ब्यूटी सीडलैस किस्मों के तैयार गुच्छों को तोड़कर बाजार में भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए तथा जब किस्में पकनी आरंभ हो गई हों तो उनमें सिंचाई बंद कर देनी चाहिए.

अंगूर की खेती अंगूर की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 29, 2024,
  • Updated May 29, 2024, 8:09 AM IST

अंगूर किसानों को अच्छा फायदा देने वाली बागवानी फसल है. लेकिन इसमें लगने वाले रोगों के निदान और इसकी सिंचाई मैनेजमेंट पर विशेष फोकस करना पड़ता है. अंगूर नई बेलों में सिंचाई 10-15 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए. मई के अंत तक तैयार परलेट और ब्यूटी सीडलैस किस्मों के तैयार गुच्छों को तोड़कर बाजार में भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए तथा जब किस्में पकनी आरंभ हो गई हों तो उनमें सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, अन्यथा फलों में ठोस घुलनशील पदार्थों की अत्यधिक कमी आती है और फल फटने लगते हैं. ऐसे फलों को बाजार में बेचना कठिन होता है. यदि एन्थेक्नोज का प्रकोप हो तो बाविस्टिन (0.2 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव एक सप्ताह के अंतराल पर दो बार करना चाहिए. 

चूर्णिल फफूंद की रोकथाम के लिए केराथेन (0.1 प्रतिशत), डीनोकैप (0.25 मि.ली./ लीटर) के घोल का छिड़काव अथवा सल्फर की धूल का प्रयोग करना चाहिए. इन महीनों में थ्रिप्स का भी प्रकोप कहीं-कहीं रहता है. इसकी रोकथाम के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी 0.22 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा स्पिनोसैड 45 एससी 0.25 मि.ली. प्रति लीटर का छिड़काव करना चाहिए. जून माह में, मृदुल आसिता से बचाव हेतु मुख्य तने के समीप से निकलने वाली सभी शाखाओं को निकाल देना चाहिए तथा ट्रेलिस से लटकने वाली अतिरिक्त शाखाओं को सुतली से बांध देना चाहिए ताकि मिट्टी से उनका स्पर्श न हो पाये. इसके अतिरिक्त बोर्डो घोल (0.5 प्रतिशत) अथवा कॉपरऑक्सी क्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें.

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कब करें छिड़काव

श्यामव्रण और मृदुल आसिता की रोकथाम हेतु वैकल्पिक रूप से बैसिलस सबटिलिस 2.0 मिली या ग्राम/लीटर या ट्राइकोडर्मा एसपी 5 मिली या ग्राम/लीटर या मंजरी वाइनगार्ड 2 मि.ली./लीटर का छिड़काव करें. तुड़ाई से 8-10 दिनों पूर्व 50-100 पीपीएम नेप्थलीन एसिटिक एसिड के छिड़काव से फलों का गिरना कम हो जाता है तथा निधानी आयु में भी बढ़ोत्तरी देखी गयी है.

अंगूर में एन्थ्रेक्नोज का इलाज कैसे करें?

कलियों के फूलने से पहले बेलों पर चूने-सल्फर का प्रारंभिक प्रयोग अंगूर एन्थ्रेक्नोज के प्रारंभिक प्रसार को कम करने के लिए दिखाया गया है. मौसम के दौरान कवकनाशी का छिड़काव इस बीमारी के प्रकोप से तेजी से होने वाले पत्तों के झड़ने को रोक सकता है.

एन्थ्रेक्नोज रोग किसके कारण होता है?

शब्द एन्थ्रेक्नोज कवक के कारण होने वाली बीमारियों को संदर्भित करता है जो एसरवुलि नामक संरचनाओं में कोनिडिया उत्पन्न करते हैं. ये कवक पत्तियों, फूलों, फलों और तने के ऊतकों को संक्रमित कर सकते हैं.

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