Stem Borer: बायेर ने लॉन्च किया नया प्रॉडक्ट, धान किसानों को स्टेम बोरर से मिलेगा छुटकारा

Stem Borer: बायेर ने लॉन्च किया नया प्रॉडक्ट, धान किसानों को स्टेम बोरर से मिलेगा छुटकारा

BICOTA एक आधुनिक और प्रभावी समाधान है, जो धान की फसल को स्टेम बोरर कीटों से बचाने के साथ-साथ फसल के सम्पूर्ण विकास में भी सहायता करता है. यह किसानों को बेहतर उपज, अधिक लाभ और कम मेहनत के साथ खेती करने का अवसर देता है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 10, 2025,
  • Updated Jun 10, 2025, 11:54 AM IST

धान की खेती में स्टेम बोरर (तना छेदक कीट) एक गंभीर समस्या है, जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है और किसानों की उपज और आमदनी दोनों को प्रभावित करता है. इसी चुनौती का समाधान लेकर आई है अग्रणी कृषि-रसायन कंपनी बायेर. कंपनी ने जून 2025 से एक नया उत्पाद BICOTA लॉन्च करने की घोषणा की है, जो स्टेम बोरर से प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है और धान की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को बेहतर बनाता है.

क्या है BICOTA और कैसे करता है काम?

BICOTA बायेर का एक विशेष ग्रेन्युलर (दानेदार) उत्पाद है जो खेत में डालने पर तेजी से स्टेम बोरर की गतिविधि को रोकता है. यह कीटों के खाने की प्रक्रिया को तुरंत बंद कर देता है, जिससे पौधे की रक्षा होती है और नुकसान रुकता है. इसकी खासियत यह है कि यह लंबे समय तक प्रभाव देता है, जिससे बार-बार दवा डालने की जरूरत नहीं पड़ती.

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फसल के विकास में मददगार

BICOTA न सिर्फ कीटों से बचाव करता है, बल्कि फसल की जड़ों और कल्लों (तनों की शाखाएं) के विकास में भी सहायक है. इससे पौधों की सेहत बेहतर होती है, वे अधिक मजबूत होते हैं और अंततः पैदावार में वृद्धि होती है. बदलते मौसम में जब कीट नियंत्रण मुश्किल होता है, BICOTA एक भरोसेमंद समाधान बनकर उभरता है.

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कहां मिलेगा BICOTA?

यह उत्पाद भारत के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में उपलब्ध होगा जैसे – पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना.

IPM के अनुकूल और सुरक्षित विकल्प

BICOTA इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) के अनुरूप है, जो पर्यावरण और फसल दोनों के लिए फायदेमंद है. यह उपयोग में सुरक्षित है और लाभकारी कीटों को नुकसान नहीं पहुंचाता, जिससे जैविक संतुलन बना रहता है. ग्रेन्युलर फॉर्म होने के कारण इसका उपयोग बेहद आसान है. किसान इसे अपने खेतों में बिना किसी विशेष उपकरण के छिड़क सकते हैं. इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है, साथ ही उत्पादन बढ़ने से आमदनी में भी इजाफा होता है.

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