हरियाणा में नए बीज कानून का विरोध जारी, कई जिलों में बंद दुकानें

हरियाणा में नए बीज कानून का विरोध जारी, कई जिलों में बंद दुकानें

हरियाणा सरकार ने बीज और कीटनाशक अधिनियमों में बदलाव कर दिया है. व्यापारियों ने सरकार को नए अधिनियमों को रद्द करने या संशोधित करने के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है. वहीं, कई व्यापारियों ने इस कानूनों को राज्य सरकार द्वारा थोपा गया "काला कानून" करार दिया है.

कई जिलों में बंद दुकानेंकई जिलों में बंद दुकानें
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 09, 2025,
  • Updated Apr 09, 2025, 12:39 PM IST

हरियाणा सरकार ने बीज और कीटनाशक अधिनियमों में बदलाव कर दिया है. सरकार की ओर से अधिनियमों में किए गए संशोधनों से नाखुश बीज और कीटनाशक उत्पादकों और डीलरों ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रखा और दुकानें बंद रखी. वहीं, इस कानून को व्यापार विरोधी बताते हुए व्यापारियों ने सरकार को नए अधिनियमों को रद्द करने या संशोधित करने के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है. हालांकि, सोमवार शाम को डीलरों के एक गुट ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से दिए गए आश्वासन का हवाला देते हुए हड़ताल वापस लेने की घोषणा की, लेकिन व्यापारियों का दावा है कि किसी ने हड़ताल वापस नहीं ली है और यह तय कार्यक्रम के अनुसार जारी रहेगी. हड़ताल की घोषणा रविवार को कुरुक्षेत्र में एक बैठक के दौरान की गई थी.

नए कानून में अधिक है जुर्माना

हरियाणा बीज उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पाल सिंह धालीवाल ने इस कानून को लेकर कहा था कि संशोधन उत्पादकों और डीलरों के खिलाफ है, ऐसे में हम इन परिस्थितियों में काम करने की स्थिति में नहीं हैं. नए प्रावधानों के अनुसार अधिनियम के तहत अपराध गैर-जमानती है. बता दें कि पहले, पहली बार अपराध करने पर 500 रुपये और दूसरी बार अपराध करने पर 1,000 रुपये का जुर्माना और 1 साल की कैद का प्रावधान था. लेकिन अब 1 लाख से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और एक से तीन साल की कैद होगी.

व्यापारियों ने बताया "काला कानून"

कई व्यापारियों ने इस कानूनों को राज्य सरकार द्वारा थोपा गया "काला कानून" करार दिया है. साथ ही इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई. साथ ही कहा कि ये उनके व्यापार के लिए पूरी तरह से अनुचित है. वहीं, इस हड़ताल का असर लगातार देखने को मिल रहा है. दरअसल, हरियाणा के सभी जिलों में पिछले दो दिनों से सभी बीज दुकाने बंद कर दी गई है और सरकार से इन अधिनियम को वापस लेने की मांग की जा रही है.

ये भी पढ़ें:- हरियाणा में बीज अधिनियम में हुआ फेरबदल, विरोध में 7 दिन की हड़ताल करेंगे उत्पादक

"निर्माताओं को ठहराएं जिम्मेदार"

व्यापारियों ने ये भी कहा कि व्यापारी केवल निर्माताओं से सीधे प्राप्त सीलबंद और पहले से पैक किए गए उत्पाद बेचते हैं, खुदरा विक्रेताओं द्वारा कोई छेड़छाड़ या संशोधन नहीं किया जाता है. यदि उत्पाद के साथ कोई समस्या है, तो निर्माताओं को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. हम केवल एक माध्यम हैं जिसके माध्यम से उत्पाद किसानों तक पहुंचते हैं.

नए अधिनियमों में किए गए फेरबदल

बता दें कि हरियाणा में 500 से ज़्यादा बड़े बीज उत्पादक, करीब 10,000 बड़े और करीब 5,000 छोटे बीज विक्रेता हैं. बीज उत्पादन एक बहुत ही विनियमित प्रक्रिया है, जिसमें मुख्य बीज पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, डीडब्ल्यूआर करनाल, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और पूसा संस्थान सहित सरकारी एजेंसियों से खरीदा जाता है. इन्हें हरियाणा राज्य बीज प्रमाणन एजेंसी की देखरेख में उगाया जाता है. उत्पाद का परीक्षण सरकारी प्रयोगशालाओं में किया जाता है और फिर उत्पाद को बिक्री के लिए अनुमति दी जाती है.

नए कानून में बीज के अंकुरण पर फोकस

नए प्रावधान के तहत अगर बीज का अंकुरण 80 प्रतिशत से कम हुआ तो उत्पादक और डीलर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जबकि कम अंकुरण के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं. मौसम की स्थिति, निष्क्रियता अवधि और अन्य कारण अंकुरण को प्रभावित कर सकते हैं. किसानों को तीन दिन के भीतर अंकुरण के बारे में पता चल जाता है और अगर परिणाम संतोषजनक नहीं होते हैं, तो वे फिर से बीज बो सकते हैं, डीलर के पास अपना दावा कर सकते हैं. वहीं, उपभोक्ता अदालत का भी दरवाजा खटखटा सकते हैं.

MORE NEWS

Read more!