प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 08 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विकसित भारत संकल्प यात्रा के लाभार्थियों से बातचीत की. इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और स्थानीय स्तर के प्रतिनिधियों के साथ देश भर से हजारों विकसित भारत संकल्प यात्रा लाभार्थी शामिल हुए. इस कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती के चलन पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने किसानों से उर्वरकों के उपयोग को नियंत्रित करने को कहा क्योंकि कई लोग यूरिया के साथ नैनो यूरिया का भी उपयोग कर रहे हैं. दरअसल किसानों के बीच लगातार जागरूकता पैदा की जा रही है और उर्वरकों के उपयोग को तर्कसंगत बनाने के लिए मिट्टी का परीक्षण भी किया जा रहा है और किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी दिया जा रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि देश के किसानों से आग्रह करता हूं कि वे यूरिया और नैनो यूरिया दोनों का उपयोग न करें, जहां भी उपलब्ध हो, नैनो यूरिया का ही उपयोग करें. उन्होंने ये भी कहा कि जब सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' की भावना के साथ काम करती है तो योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता है. इसके बाद भी यदि कोई छूट जाता है तो 'मोदी की गारंटी की गाड़ी' उस तक लाभ पहुंचा देगी.' उन्होंने कहा कि सरकार पैक्स को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है और 2 लाख भंडारण इकाइयां बनाने की योजना है.
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देश के अन्नदाताओं को खेत-खलिहानों को स्वस्थ रखने और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के लिए जैविक खेती की सलाह दी जाती है. वहीं देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी लगातार प्रयासरत है. जैविक खेती के तहत मिट्टी को पोषण प्रदान करने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें खेतों में बचा हुआ पौधे का कचरा सहित पशुओं का गोबर और मूत्र से बनी जैविक खाद, केंचुआ कंपोस्ट खाद आदि शामिल होता है. इससे पर्यावरण को तो फायदा पहुंचता ही है, वहीं खेत की मिट्टी की सेहत में भी काफी सुधार होता है.
जैविक खेती करने के कई फायदे भी हैं. जैविक खेती करने से जहां किसानों की उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. वहीं इसकी खेती करने वाले किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा भी होता है. इसकी खेती में जैविक खाद का प्रयोग होने से यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. वहीं यह पर्यावरण के लिए भी काफी बेहतर होता है. जैविक खेती के लिए पानी का भी कम इस्तेमाल किया जाता है.
नैनो यूरिया एक लिक्विड उर्वरक है. ये खाद के मुकाबले बेहतर होता है. वहीं इसका आप खेतों में 2-4 एमएल प्रति लीटर पानी (या 250 मिली/ एकड़, 125 लीटर पानी में) के घोल का खड़ी फसल पर छिड़काव कर सकते हैं. अनाज, दाल, सब्जियां, फल, फूल, औषधीय आदि सभी तरह की फसल पर इसका उपयोग किया जा सकता है.