
भारत और रूस ने आज डिफेंस, ट्रेड, इकॉनमी, हेल्थकेयर, एकेडमिक्स, कल्चर और मीडिया से जुड़े एरिया में कई एग्रीमेंट किए. इसमें ऐलान हुआ कि भारत और रूस एकसाथ मिलकर यूरिया बनाएंगे. नई दिल्ली में 23वें इंडिया-रूस एनुअल समिट में प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन के साथ एक जॉइंट प्रेस मीट में बोलते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रेसिडेंट पुतिन का दौरा ऐसे समय में हुआ है जब बाइलेटरल रिलेशन कई ऐतिहासिक उपलब्धियों तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में, दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, और इन सबके बीच, इंडिया-रूस रिलेशन समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं.
प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों देश यूरिया प्रोडक्शन पर मिलकर काम करेंगे. उन्होंने बताया कि लगभग पच्चीस साल पहले, प्रेसिडेंट पुतिन ने इंडिया-रूस स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप की नींव रखी थी. उन्होंने आगे कहा कि पंद्रह साल पहले, 2010 में, इस पार्टनरशिप को स्पेशल और प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के लेवल तक बढ़ाया गया था.
राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF), नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) और इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) के सपोर्ट वाले इस प्रपोज्ड प्रोजेक्ट का मकसद रूस के प्राकृतिक गैस और अमोनिया के बड़े रिजर्व का इस्तेमाल करना है, जो भारत के पास मौजूद जरूरी रॉ मटीरियल हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, RCF, NFL और IPL ने प्रोजेक्ट के लिए ग्राउंडवर्क शुरू करने के लिए रूसी कंपनियों के साथ पहले ही नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (NDA) साइन कर लिए हैं.
मीटिंग के दौरान, दोनों नेताओं ने 2030 तक भारत-रूस आर्थिक सहयोग के स्ट्रेटेजिक एरिया के डेवलपमेंट के लिए एक प्रोग्राम अपनाया. उन्होंने द्विपक्षीय रिश्तों में हुई प्रगति का रिव्यू किया और आपसी फायदे के रीजनल और ग्लोबल मुद्दों पर विचारों का लेन-देन किया.
जानकारों का कहना है कि यूरिया पर हुआ सझौता सबसे अच्छा डेवलपमेंट है, जो किसी भी मिलिट्री अलायंस से भी बेहतर है. यूरिया भारतीय किसानों के लिए सबसे जरूरी चीज बनी हुई है, जो पिछले 6-7 सालों में इस बार उपलब्धता को लेकर बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.
एक जानकार ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा कि इस फैसिलिटी से हर साल 20 लाख टन से ज्यादा यूरिया बनने की उम्मीद है. बातचीत अभी जमीन के बंटवारे, नैचुरल गैस और अमोनिया की कीमत और ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक्स पर फोकस है.
रूस के बड़े गैस और अमोनिया रिजर्व इसे भारत के लिए एक नैचुरल पार्टनर बनाते हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े फर्टिलाइजर यूजर्स में से एक होने के बावजूद इन फीडस्टॉक के लिए इंपोर्ट पर निर्भर है.
रूस में प्लांट लगाकर, भारत का मकसद भविष्य में कीमतों में होने वाले झटकों और सप्लाई में रुकावटों से खुद को बचाना है, खासकर पिछले दो सालों की उथल-पुथल के बाद, जब ग्लोबल ट्रेड पाबंदियों और युद्धों ने फर्टिलाइजर मार्केट को उलट-पुलट कर दिया था.
फ्यूल सप्लाई: रूस ने भारत को बिना रुकावट फ्यूल सप्लाई का भरोसा दिया. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, "हम बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फ्यूल की बिना रुकावट शिपमेंट जारी रखने के लिए तैयार हैं."
इंडस्ट्रियल कोऑपरेशन: भारतीय कंपनियों ने रूस में यूरिया प्लांट लगाने के लिए रूस की URALCHEM के साथ एक डील साइन की. इससे भारत में यूरिया की कमी खत्म होगी. इस प्लांट पर जल्द काम शुरू हो सकता है.
फूड सेफ्टी और कंज्यूमर प्रोटेक्शन: खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देश साझीदारी में काम करेंगे. इस एग्रीमेंट पर साइन किया गया. एग्रीमेंट में भारत की FSSAI और रूस की उपभोक्ता मामलों की संस्था शामिल थी.
हेल्थ सेक्टर: मेडिकल साइंस और हेल्थकेयर में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए MoU साइन किए गए.
पोर्ट और शिपिंग: भारत और रूस ने समुद्री लॉजिस्टिक्स में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक MoU साइन किया.