जायद सीजन में धान की बुवाई कर चुके और खरीफ सीजन के लिए बुवाई की तैयारियों में जुटे किसानों के लिए खैरा रोग बड़ी समस्या बनता है. इसकी वजह से पौधों का विकास रुक जाता है और पौधा बौना रह जाता है. इसके अलावा पत्तियों पर पीले-काले धब्ब पड़ने लगते हैं. जिसके चलते उपज कमजोर हो जाती है और उसकी गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. खैरा रोग से बचाने के लिए किसान कई तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे फसल की पोषकता तो खराब होती है और उन्हें फायदा नहीं मिलता है. इन समस्याओं से छुटकारा देने के लिए सरकारी उर्वरक और बीज बिक्री संस्था इफको जिंक फर्टिलाइजर लाई है, जो किसानों की इन समस्याओं को दूर कर बंपर उत्पादन दे सकती है.
इफको के अनुसार जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट (33% जिंक) के इस्तेमाल से किसान अपनी फसल की अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं. केवल धान ही नहीं यह कई तरह की फसलों के काम आती है. इफको के अनुसार जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट (33% जिंक) उर्वरक सभी फसलों के लिए एक प्रमुख सक्ष्म पोषक तत्व के रूप में काम करता है. इसके इस्तेमाल से फसल में कम फुटान, पौधे की वृद्धि न होना, पत्तियों पर हल्के पीले धब्बे, धान में निचली पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ने जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट (33% जिंक) पौधों के विकास के लिए जरूरी हार्मोन ऑक्सिन को बनाता है और पौधे के लिए सूर्य से भोजन बनाने की प्रक्रिया में मदद करता है.