असली-नकली बीजों की पहचान होगी आसान, मोबाइल ऐप और पोर्टल की हुई शुरुआत

असली-नकली बीजों की पहचान होगी आसान, मोबाइल ऐप और पोर्टल की हुई शुरुआत

Seed Certification: केंद्रीय कृष‍ि मंत्री ने कहा-कृष‍ि क्षेत्र की ग्रोथ को प्रभाव‍ित करते हैं नकली बीज, किसानों का होता है नुकसान. देश के कृषि उत्पादन में पड़ता है फर्क. ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे नकली बीजों का बाजार ध्वस्त हो और गुणवत्ता वाले बीज किसान तक पहुंचें. 

नकली बीजों पर लगाम लगाने के ल‍िए साथी पोर्टल और ऐप की शुरुआत करते कृष‍ि मंत्री (Photo-Kisan Tak).  नकली बीजों पर लगाम लगाने के ल‍िए साथी पोर्टल और ऐप की शुरुआत करते कृष‍ि मंत्री (Photo-Kisan Tak).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Apr 19, 2023,
  • Updated Apr 19, 2023, 4:13 PM IST

बीज उत्पादन की चुनौतियों से निपटने, असली-नकली बीजों की पहचान और सीड सर्ट‍िफ‍िकेशन के लिए बनाए गए साथी पोर्टल और मोबाइल ऐप्लीकेशन की मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुरुआत की. उत्तम बीज-समृद्ध किसान की थीम पर कृषि मंत्रालय के सहयोग से एनआईसी ने इसे बनाया है. इस मौके पर तोमर ने कहा कि भारत सरकार कृषि के समक्ष विद्यमान चुनौतियों और कठिनाइयों को विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से दूर करने की लगातार कोशिश कर रही है.  साथी पोर्टल भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. जब इसका प्रयोग नीचे तक शुरू होगा तो कृषि क्षेत्र में यह क्रांतिकारी कदम साबित होगा.  

तोमर ने कहा भारत के लिए कृषि का बड़ा महत्व है. बदलते परिदृश्य में यह महत्व और बढ़ गया है. पहले हमारे लिए खेती में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति का ही लक्ष्य रहता था, लेकिन वर्तमान में दुनिया की अपेक्षाएं भी भारत से बढ़ रही हैं. ऐसे में कृषि की तमाम चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन आदि से निपटते हुए हम दुनिया की मदद कर सकें, यह हमारी जिम्मेदारी है. तोमर ने कहा कि कृषि में बीज, कीटनाशक, उर्वरक और सिंचाई की प्रमुख भूमिका रहती है. 

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नकली बीज प्रभाव‍ित करते हैं ग्रोथ

गुणवत्ता हीन या नकली बीज कृषि की ग्रोथ को प्रभावित करता है. इससे किसानों का नुकसान होता है, देश के कृषि उत्पादन में भी बड़ा फर्क आता है. समय-समय पर यह बात आती रही है कि हमें ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे नकली बीजों का बाजार ध्वस्त हो और गुणवत्ता वाले बीज किसान तक पहुंचें, इसके लिए साथी पोर्टल आज लॉन्च हो गया है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सामने आ रहे नए प्रकार के कीट फसलों को प्रभावित कर रहे हैं, जिस पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को अपना रिसर्च बढ़ाना चाहिए. यदि हम यह नुकसान बचाने में सफल हो गए तो पूरे कृषि उत्पादन का 20 फीसदी बचा सकते हैं. 

सीड ट्रेसेबिलिटी का पहला चरण

तोमर ने कहा कि अभी साथी (सीड ट्रेसेबिलिटी, ऑथेंटिकेशन एंड होलिस्टिक) पोर्टल का पहला चरण आया है. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दूसरे फेज में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए. इसका किसानों को पूरी तरह से लाभ मिले, इसके लिए भी जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किया जाना चाहिए. इस सिस्टम के अंतर्गत क्यूआर कोड होगा, जिससे बीज कहां से आया उसे ट्रेस किया जा सकेगा. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्रों, राज्य सरकारों के माध्यम से इस संबंध में ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. उन्होंने सीड ट्रेसेबिलिटी सिस्टम से सभी राज्यों को जुड़ने का आग्रह किया.

क्या करेगा साथी पोर्टल

साथी पोर्टल गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली सुनिश्चित करेगा, बीज उत्पादन श्रृंखला में बीज के स्रोत की पहचान करेगा. इस प्रणाली मेंबीज श्रृंखला के एकीकृत 7 वर्टिकल शामिल होंगे. इसमें अनुसंधान संगठन, सीड सर्ट‍िफ‍िकेशन, बीज लाइसेंसिंग, बीज सूची, डीलर से किसान को बिक्री, किसान पंजीकरण और बीज डीबीटी शाम‍िल होंगे. वैध प्रमाणीकरण वाले बीज केवल वैध लाइसेंस प्राप्त डीलरों द्वारा केंद्रीय रूप से पंजीकृत किसानों को बेचे जा सकते हैं, जो सीधे अपने पूर्व-मान्य बैंक खातों में डीबीटी के माध्यमसे सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं. इस मौके पर कृषि सचिव मनोज अहूजा और संयुक्त सचिव (बीज) पंकज यादव सह‍ित कई लोग मौजूद रहे. 

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