शुरू होने वाली है मूंगफली की बुवाई, कहां से लें बीज और कैसे करें बीजोपचार...यहां पाएं पूरी जानकारी

शुरू होने वाली है मूंगफली की बुवाई, कहां से लें बीज और कैसे करें बीजोपचार...यहां पाएं पूरी जानकारी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अनुसंधान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों ने मूंगफली की उन्नत तकनीकें जैसे उन्नत किस्में, रोग नियंत्रण, निराई और खरपतवार नियंत्रण आदि विकसित की हैं. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कब की जाती है मूंगफली की बुवाई. साथ ही बुवाई करने करने के लिए कहां से लें बीज और कैसे करें बीजोपचार. 

groundnut farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 22, 2024,
  • Updated Mar 22, 2024, 1:27 PM IST

मूंगफली भारत की प्रमुख महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है. यह ज्यादातर गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के राज्यों में उगाया जाता है. यह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे अन्य राज्यों में भी एक बहुत महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है. राजस्थान में इसकी खेती लगभग 3.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे लगभग 6.81 लाख टन उत्पादन होता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीनस्थ अनुसंधान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों ने मूंगफली की उन्नत तकनीकें जैसे उन्नत किस्में, रोग नियंत्रण, निराई और खरपतवार नियंत्रण आदि विकसित की गईं हैं. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कब की जाती है मूंगफली की बुवाई. साथ ही बुवाई करने करने के लिए कहां से लें बीज और कैसे करें बीजोपचार. 

मूंगफली की बुवाई का सही समय

बुआई का सही समय जून का पहला सप्ताह है. मध्यम आकार की झुमका किस्मों की 100 कि.ग्रा. और फैलने वाली अर्ध फैलने वाली किस्मों की 80 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त है. झुमका किस्मों के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी सही मानी जाती है. साथ ही फैलने वाली और अर्ध फैलने वाली किस्मों के लिए 45 सेमी.  और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी. रखा जाना चाहिए. ऊंची क्यारियों में बुआई करने पर बीज की उपज और गुणवत्ता बढ़ जाती है.

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बुवाई से पहले करें बीजोपचार

कॉलर रॉट रोग की रोकथाम के लिए कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत और थीरम 37.5 प्रतिशत (विटावेक्स पावर) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर पर बीजोपचार करें. सफेद लट की रोकथाम के लिए बीजों को 6.5 मि.ली. में मिला देना चाहिए. इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित कर बोएं.

मूंगफली में खाद की जरूरत

उर्वरकों का उपयोग भूमि के प्रकार, उसकी उर्वरता, मूंगफली की विविधता, सिंचाई सुविधाओं आदि के अनुसार किया जाता है. मूंगफली, दलहन परिवार की तिलहनी फसल होने के कारण, आमतौर पर नाइट्रोजन उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है, फिर भी हल्की मिट्टी में 15-20 कि.ग्रा. नाइट्रोजन और शुरुआती वृद्धि के लिए 50-60 किलोग्राम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है. फास्फोरस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना लाभकारी रहता है. उर्वरक की पूरी मात्रा खेत की तैयारी के समय ही भूमि में मिला देनी चाहिए. कम्पोस्ट या गोबर की खाद उपलब्ध हो तो इसकी 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर मात्रा बुआई से 20-25 दिन पहले खेत में बिखेर कर अच्छी तरह मिला देनी चाहिए. अधिक उत्पादन के लिए 250 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर अंतिम जुताई से पहले भूमि में मिला देना चाहिए.

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