आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है. यह इंसानों का बहुत पसंदीदा फल माना जाता है और इसमें मिठास के साथ खट्टापन भी मिला हुआ होता है. विभिन्न किस्मों के अनुसार फलों में कम या ज्यादा मिठास पाई जाती है. कच्चे आम से बनी चटनी अचार का इस्तेमाल कई तरह के पेय पदार्थों में किया जाता है. इससे जेली, जैम, सिरप आदि बनाये जाते हैं. यह विटामिन ए और बी का अच्छा स्रोत है.
हमारे देश में उगाई जाने वाली किस्मों में प्रमुख उन्नतशील किस्में हैं- दशहरी, लगड़ा, चौसा, फजरी, बॉम्बे ग्रीन, अल्फांसो, तोतापरी, हिमसागर, किशनभोग, नीलम, सुवर्णखा, वनराज आदि. आम की नई विकसित किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली , दशहरी-5, दशहरी-51, अंबिका, गौरव, राजीव, सौरव, रामकेला और रत्ना प्रमुख किस्में हैं.
आम की खेती उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण दोनों जलवायु में की जाती है. आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई तक सफल होती है. इसके लिए 23.8 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सबसे अच्छा होता है. आम की खेती हर प्रकार की भूमि में की जा सकती है. परंतु इसे रेतीली, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमियों में उगाना लाभकारी नहीं होता तथा अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. वहीं, आम की खेती करने वाले किसानों को एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि अगर मंजर के समय बारिश हो जाए तो तुरंत इन उर्वरकों का छिड़काव कर देना चाहिए. कौन-कौन से हैं वो खाद आइए जानते हैं.
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बाग के दस वर्ष की आयु तक नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस प्रत्येक वर्ष आयु के गुणांक 100 ग्राम प्रति वृक्ष के हिसाब से जुलाई के महीने में पेड़ के चारों ओर बनी नाली में देना चाहिए. इसके अलावा मिट्टी की उपजाऊ स्थिति में सुधार के लिए प्रति पौधे 25 से 30 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद देना उचित पाया गया है. जैविक खाद के लिए जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एज़ोस्पिरिलम को 40 किलोग्राम गोबर में मिलाकर थैलों में डालने से उत्पादन में वृद्धि हुई है.