Seed Agreement: बीज कंपनियों से मिले धोखे के बाद तेलंगाना के किसानों ने उठाया यह बड़ा कदम 

Seed Agreement: बीज कंपनियों से मिले धोखे के बाद तेलंगाना के किसानों ने उठाया यह बड़ा कदम 

Seed Agreement: मुलुगु में नकली बीजों के कारण बड़े स्‍तर पर फसल खराब हुई है और पैदावार कम हुई है. अब किसानों ने बीज कंपनियों के साथ आपसी समझौता करने के बाद ही खेती शुरू करने का फैसला किया है. किसानों ने अपनी बर्बाद फसलों के मुआवजे को हासिल करने के लिए तीन महीने तक विरोध प्रदर्शन भी किया था.

Farmers will get seeds for freeFarmers will get seeds for free
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jun 30, 2025,
  • Updated Jun 30, 2025, 11:46 AM IST

तेलंगाना के मुलुगु जिले के किसानों ने बीज कंपनियों के साथ एक अहम समझौते की मांग की है. दरअसल पिछले दिनों तीन मंडलों वेंकटपुरम, वाजेडु और कन्‍नाईगुडेम के 18 गांवों में 2,186 एकड़ फसल चौपट हो गई थी. किसानों की मानें तो कंपनियों की तरफ से मक्‍का के नकली बीज उन्‍हें सप्‍लाई किए गए थे और इस वजह से उन्‍हें इतना नुकसान उठाना पड़ा है.अब किसानों ने तय किया है कि जब तक कंपनियों की तरफ से उन्‍हें भरोसा नहीं दिया जाता है तब तक वो बीज नहीं खरीदेंगे. 

बड़े स्‍तर पर खराब हुई फसल 

मुलुगु में नकली बीजों के कारण बड़े स्‍तर पर फसल खराब हुई है और पैदावार कम हुई है.अब किसानों ने बीज कंपनियों के साथ आपसी समझौता करने के बाद ही खेती शुरू करने का फैसला किया है. किसानों ने अपनी बर्बाद फसलों के मुआवजे को हासिल करने के लिए तीन महीने तक विरोध प्रदर्शन भी किया था. अखबार टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अरुणाचलपुरम, योगिता नगर, चिरुथापल्ली और मुरुमुरु जैसे प्रभावित गांवों के किसानों ने कॉन्‍ट्रैक्‍ट के तहत होने वाली खेती में अपनी लंबे समय से चली आ रही भागीदारी के बारे में बताया. यहां पर बीज कंपनियां बिचौलियों जिन्‍हें स्थानीय तौर पर ऑर्गनाइजर कहते हैं, को तैनात करती हैं. 

बायबैक सिस्‍टम की मांग 

किसानों का कहना है कि पहले उन्‍हें खराब या परिस्थितियों में भी कम से कम 60 फीसदी तक उपज हासिल हो पाती थी. किसानों की मानें तो इन आयोजकों से मिलने वाले बीज, कीटनाशकों और उर्वरकों की किस्मों के बारे में उन्‍हें कोई जानकारी नहीं है. किसानों को खेती के लिए जो भी उपलब्ध कराया जाता है उसका वो प्रयोग करते हैं. ये लेन-देन बिना किसी औपचारिक समझौते के होते हैं. किसानों का कहना है कि बीज कंपनियां अनिवार्य बाय-बैक व्यवस्था को लागू करने में विफल रहीं हैं. इसके तहत उपज की परवाह किए बिना प्रति एकड़ 70,000 रुपये का गारंटीड पेमेंट जरूरी होता है. 

क्‍या है बायबैक सिस्‍टम 

ऐसे में किसानों ने यह सुनिश्चित करने के लिए बीज कंपनियों के साथ सीधे औपचारिक समझौता करने का फैसला किया कि किसानों को उपज के बाद सही राशि मिले.  बीज उत्पादन में बायबैक सिस्टम एक ऐसा सिस्‍टम है जिसमें किसान अपनी जमीन पर बीज उगाते हैं और फिर बीज को उत्पादक या नामिनेटेड एजेंसी की तरफ से पहले से तय कीमत पर वापस खरीदा जाता है. इन बीजों को इस सिस्‍टम के तहत अक्सर टेक्निकल असिस्‍टेंस और गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के साथ कंपनियां खरीदती हैं. इस सिस्‍टम के प्रयोग से क्‍वालिटी वाले बीजों की उपलब्धता बढ़ाने और किसानों की आजीविका में सुधार करने के लिए किया जाता है. 

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