प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी और मसाला फसल है. इसमें थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और कुछ विटामिन भी होते हैं. प्याज में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. प्याज का उपयोग सूप, अचार और सलाद के रूप में किया जाता है. भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, एमपी, आंध्र प्रदेश और बिहार प्रमुख हैं. मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. भारत में प्याज की खेती मुख्य रूप से खंडवा, शाजापुर, रतलाम, छिंदवाड़ा सागर और इंदौर में की जाती है. आमतौर पर प्याज की खेती सभी जिलों में की जाती है. भारत से मलेशिया, यूएई तक प्याज का निर्यात किया जाता है. इसे कनाडा, जापान, लेबनान और कुवैत को भी निर्यात किया जाता है. जिस वजह से प्याज की मांग हमेशा बनी रहती है.
ऐसे में प्याज की खेती कर रहे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. लेकिन वहीं किसी कारण अगर प्याज में कोई बीमारी या रोग लग जाए तो इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है. प्याज की खेती में घुन का अटैक काफी आम है. जिस वजह से प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में आप भी इन 6 तरीके से बचाव कर सकते हैं.
शुष्क मौसम घुन के संक्रमण के लिए अनुकूल है. यह कीट भण्डारित प्याज को प्रभावित करता है. कीट आमतौर पर समूह में रहते हैं और प्याज के कंदों के जड़ वाले हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं. ये कीट कंदों की बाहरी परत में घुसकर कर प्याज संक्रमित करते हैं. कवक और बैक्टीरिया को कंद में प्रवेश करने का मौका मिलने से पौधे सूखने और सड़ने लगते हैं. कंद घुन पौधे के खड़े रहने की क्षमता और पौधे की वृद्धि को कम कर देते हैं और भंडारण में कंदों के सड़ने को बढ़ा देते हैं. गंभीर क्षति वाले पौधे अपनी जड़ें और शीर्ष खो देते हैं. ये कीट सीधे बीज द्वारा बोए गए प्याज के डंठल को पौधा स्थापित होने से पहले ही काट देते हैं, जिससे पौधा नष्ट हो जाता है. गंभीर आक्रमण की स्थिति में, कीट खाली फूल के डंठल में घुस जाते हैं.
ये भी पढ़ें: Summer Crops Area: चावल, दाल और मोटे अनाजों की बुवाई में उछाल, तिलहन ने किया निराश
नर्सरी में बुआई से पहले बीज को बाविस्टिन से उपचारित करें. इसके लिए 2 ग्राम बाविस्टिन को 1 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें और फिर इस तैयार मिश्रण से 1 किलोग्राम प्याज के बीज को उपचारित करें. इसके अलावा डैम्पिंग ऑफ और अन्य बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए 1 किलो बीज के लिए 8-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विराइड को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर जैव कवकनाशी का उपयोग करें.