सरसों रबी के सीजन की एक अहम फसल है और यह भारत की प्रमुख तिलहनी फसलों में शुमार होती है. इसकी खेती में यूं तो कई चीजें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं लेकिन सही खाद का चुनाव सबसे जरूरी होता है. सही समय पर बुवाई या सिंचाई के साथ ही अगर आपने गलत खाद को चुन लिया तो फिर न सिर्फ फसल की बढ़वार प्रभावित होगी बल्कि पैदावार भी कम हो सकती है. आज किसान भाइयों के बीच एक बड़ा सवाल यह है, DAP यानी डाई-अमोनियम फॉस्फेट या SSP यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट, सरसों की खेती के लिए कौन बेहतर है? आइए आपको बताते हैं कि दोनों प्रकार की खाद के क्या खास गुण हैं और दोनों में से कौन ज्यादा प्रभावी है.
खेत की उर्वरता बढ़ाते दोनों
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए किसानों के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि DAP डालें या SSP? दोनों ही खादें खेत की उर्वरता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं, लेकिन इनकी उपयोगिता और प्रभाव अलग-अलग हैं. किस परिस्थिति में कौन-सी खाद सरसों की फसल के लिए ज्यादा फायदेमंद होगी, यह जानना बेहद अहम है.
डाई- अमोनियम फॉस्फेट की खासियतें
- DAP में 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फॉस्फोरस पाया जाता है.
- यह खाद पौधों की शुरुआती बढ़वार और जड़ों के विकास के लिए बेहद उपयोगी होती है.
फायदा
- यह पौधों को हरा-भरा और मजबूत बनाती है.
- बीज अंकुरण में मदद करती है और पौधों की शुरुआती ग्रोथ तेज करती है.
- मिट्टी में फॉस्फोरस की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराती है.
कमियां
- इसमें सल्फर नहीं होता, जबकि सल्फर तेल वाली फसलों जैसे सरसों के लिए एक बेहद जरूरी पोषक तत्व है.
- वहीं इसके लगातार उपयोग से मिट्टी में सल्फर और कैल्शियम की कमी हो सकती है.
SSP सिंगल सुपर फॉस्फेट
- SSP में 16 प्रतिशत फॉस्फोरस, 12 प्रतिशत सल्फर और 20 प्रतिशत कैल्शियम होता है.
- यह खाद तेल वाली फसलों जैसे सरसों, मूंगफली, तिल आदि के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
फायदे
- सरसों जैसी तेल वाली फसलों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा बढ़ाती है.
- मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार करती है.
- DAP की तुलना में सस्ती और ज्यादा फायदेमंद.
नुकसान
- इसमें फॉस्फोरस की मात्रा DAP से कम होती है.
- नाइट्रोजन नहीं होती, इसलिए नाइट्रोजन के लिए अलग से यूरिया देना पड़ता है.
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