मैं कर्ज लेकर... खाद के लिए फूट-फूटकर रोए बुजुर्ग किसान ने बताई वायरल वीडियो की कहानी 

मैं कर्ज लेकर... खाद के लिए फूट-फूटकर रोए बुजुर्ग किसान ने बताई वायरल वीडियो की कहानी 

किसानों का कहना है कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. विभाग की मदद से बाजार में प्राइवेट दुकानों पर महंगे दामों में खाद बिकवाई जा रही है. इसलिए खाद नही मिल रही. जबकि प्रशासन का दावा है कि खाद पर्याप्त है, सभी किसानों को दी जाएगी लेकिन कब यह किसान भी नही जानते?

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सिद्धार्थ गुप्ता
  • Banda ,
  • Oct 11, 2025,
  • Updated Oct 11, 2025, 1:01 PM IST

उत्तर प्रदेश (यूपी) के बांदा में खाद के लिए हाहाकार मचा हुआ है. हालात यह हैं कि एक-एक बोरी खाद के लिए किसान तरस रहे हैं. खाद का संकट किसानों के लिए आफत बना हुआ है. सुबह भोर से ही खाद केंद्रों में लंबी लंबी लाइन लगाने को किसान मजबूर हैं, जिससे प्रशासनिक दावों को पोल खुलती नजर आ रही है. एक बुजुर्ग किसान जो पिछले कई दिनों से सुबह से रात तक लाइन में लगे रहे उन्‍हें फिर भी खाद नही मिली. इससे उनका धैर्य टूट गया और कलेजा फट गया. वह लाइन में ही लगे रहने के बावजूद रो पड़े. आसपास मौजूद किसानों ने उन्हें समझाया. इन बुजुर्ग किसान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. अब यह वीडियो जिले में चर्चा का विषय बन गया. इतना ही नही मौके पर पहुंचे मंडी के अफसरों से किसानों की बहस भी हुई. 

कालाबाजारी का आरोप 

किसानों का कहना है कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. विभाग की मदद से बाजार में प्राइवेट दुकानों पर महंगे दामों में खाद बिकवाई जा रही है. इसलिए खाद नही मिल रही. जबकि प्रशासन का दावा है कि खाद पर्याप्त है, सभी किसानों को दी जाएगी लेकिन कब यह किसान भी नही जानते?  आजतक की टीम ने रोने वाले किसान को खोज निकाला और मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर उनके गांव पहुचीं. रोने वाले किसान का नाम राजभैया है. वह पैलानी थाना क्षेत्र के अलोना गांव रहने वाले हैं.

राजाभैया ने इंडिया टुडे को बताया कि वह देर शाम को खाद लेने के मुख्यालय जाते थे. लेकिन उन्हें खाद नही मिलती थी. उन्‍होंने कहा, 'मेरे पास 9 बीघे खेत हैं. सरसो, गेंहू की बुआई का समय आ गया है. खाद की सख्त जरूरत है. मुझे 9 बीघे में 6 बोरी खाद की जरूरत है. जब खाद नही मिली तो मेरा धैर्य टूट गया. मैं कर्ज लेकर खाद लेने गया था. पैदावार इतनी नहीं है कि हम लोग पैसे इकट्ठा कर सकें. फिर भी खाद नही मिली और मेरा कलेजा फट गया. मेरे आंसू निकल आए और बाद में मुझे बाकी किसानों ने समझाया.' 

रोने के बाद मिली एक बोरी खाद 

उन्‍होंने आगे कहा कि इसके बाद अधिकारी आए और एक बोरी खाद दिलवाई. साथ में मौजूद किसानों ने खाद न मिलने पर विभाग के अफसरों और कर्मचारियों पर कालाबाजारी करने का आरोप लगाया है. उनका कहना था कि बाजार में 1800 से 2500 रुपये में खाद बेची जा रही है. नकली खाद भी बाजार में उपलब्ध है. उनकी मानें तो ये सब विभागीय मिलीभगत से हो रहा है. आपको बता दें इन दिनों खाद केंद्रों में  कई गांवों से किसान आकर सुबह-सुबह लंबी-लंबी लाइनों में लग रहे हैं. उनका आरोप है कि केंद्र प्रभारी अपने मन मुताबिक कुछ टोकन बांटता है. इसके बाद उन्हीं लोगों को खाद भी मिल रही है. जबकि बाकी किसान लाइन में खाद लेने के लिए भूखे-प्यासे गर्मी में लाइन में लगे रहते हैं. उनकी कोई सुनने वाला नही है. किसानों का हुजूम खाद केंद्रों पर दिखाई देता है. हजारों की संख्या के किसान मौजूद रहते हैं, टोकन पांच सौ लोगो को बांटा जा रहा है.

ग्राम प्रधान बोले हर किसान परेशान 

वहीं ग्राम प्रधान अलोना सुमित कुमार ने बताया कि जिले में हर गांव में 100 फीसदी किसान खाद के लिए परेशान हैं. एक-एक बोरी खाद नहीं मिल रही है. उनका दावा है कि खाद को बाजार में ब्लैक किया जा रहा है और इसलिए ही खाद केंद्रों पर खाद उपलब्ध नहीं है. उन्‍होंने कहा कि किसान कई दिनों से भूख प्यास, कर्ज लेकर जाता है और फिर भी उसको खाद नही मिलती. उन्‍होंने बताया, 'हम कई बार अफसरों को मौखिक रूप से बता चुके हैं लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है. किसानों की फसलों की बुआई में देरी हो रही है. अगर अफसरों को भूखों ही मारना है तो हम भूख हड़ताल करेंगे, वरना खाद की व्यवस्था कराए.' 

अधिकारी कर रहे संकट से इनकार 

वहीं इस मामले में जिला कृषि अधिकारी संजय कुमार ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि इन दिनों जिले में रबी की फसलों की बुआई शुरू हो रही है. जिले में खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. खाद केंद्रों में मांग के अनुसार खाद भेजी जा रही है. इसके अलावा प्राइवेट सेंटर्स पर भी खाद उपलब्ध है. यहां पर ओवर रेट और बाकी समस्यायों को ध्यान में रखा जा रहा है. उन्‍होंने सलाह देते हुए कहा कि किसान एक हेक्टेयर में 4 से 6 बोरी यूरिया, 3 से 4 बोरी DAP खाद का उपयोग करें. इससे उत्पादन क्षमता ठीक रहेगी. साथ ही किसानों से अपील की कि खाद का स्टॉक न करें. 

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