खरीफ सीजन में नहीं बढ़ेगा खाद का दाम, क‍िसानों के ल‍िए केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा

खरीफ सीजन में नहीं बढ़ेगा खाद का दाम, क‍िसानों के ल‍िए केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा

Fertilizer Subsidy: केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन के ल‍िए 1 लाख 8 हजार करोड़ रुपये की उर्वरक सब्स‍िडी का एलान क‍िया है. यूर‍िया, डीएपी, एनपीके और एमओपी पुराने रेट पर ही क‍िसानों को उपलब्ध रहेगी. जान‍िए, हर क‍िसान पर कितनी सब्स‍िडी दे रही है सरकार. 

क‍िसानों को पुराने दाम पर म‍िलेगा यूर‍िया, डीएपी (Photo-Kisan Tak).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 17, 2023,
  • Updated May 17, 2023, 5:07 PM IST

केंद्र सरकार ने खेती-क‍िसानी के ल‍िए एक बड़ा फैसला लेते हुए खाद की कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला क‍िया है. क‍िसानों को खरीफ सीजन में भी पुराने दाम पर ही यूर‍िया, डीएपी, एनपीके और एमओपी उपलब्ध होगी. सरकार अकेले खरीफ के ल‍िए 1 लाख 8 हजार करोड़ रुपये की उर्वरक सब्स‍िडी देगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस सब्स‍िडी पर मुहर लगा दी है. इसमें 70000 करोड़ रुपये की सब्स‍िडी यूर‍िया और 38000 करोड़ रुपये डीएपी पर दी जाएगी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद के रॉ मैटीर‍ियल की बढ़ती कीमतों के बावजूद सरकार ने कभी क‍िसानों पर उसका बोझ नहीं पड़ने द‍िया. इसील‍िए प‍िछले साल उर्वरक सब्स‍िडी र‍िकॉर्ड 2 लाख 54 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी. 

इस साल इंटरनेशनल मार्केट में खाद के दाम कम हैं. ज‍िसकी वजह से सब्स‍िडी कुछ कम हो सकती है. हालांक‍ि दाम बढ़ने पर सरकार सब्स‍िडी बढ़ाकर उसका असर क‍िसानों पर नहीं आने देगी. ऐसा भरोसा द‍िलाया गया है. पहले मुश्क‍िल से उर्वरक सब्स‍िडी सवा लाख करोड़ रुपये थी. लेक‍िन, प‍िछले साल पूरी दुन‍िया में खाद की कीमत बढ़ी इसल‍िए सब्स‍िडी बढ़ानी पड़ी. लेक‍िन केंद्र ने बढ़े दाम पर असर क‍िसानों पर नहीं आने द‍िया. 

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प्रत‍ि क‍िसान 21 हजार की उर्वरक सब्स‍िडी

द‍िलचस्प बात यह है क‍ि सरकार ने पहली बार बताया है क‍ि वो उर्वरक सब्स‍िडी पर प्रत‍ि क‍िसान और प्रत‍ि हेक्टेयर क‍ितना खर्च कर रही है. रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडव‍िया ने बताया क‍ि देश में 12 करोड़ क‍िसान हैं. हमने सब्स‍िडी का ह‍िसाब-क‍िताब लगाया है. ज‍िससे पता चला है क‍ि केंद्र सरकार प्रत‍ि क‍िसान 21,233 रुपये की सब्स‍िडी दे रही है. अगर जमीन के ह‍िसाब से बात करें तो प्रत‍ि हेक्टेयर यह 8909 रुपये बनता है. 

खाद की क‍ितनी है खपत

उर्वरक मंत्री ने बताया क‍ि देश में सालाना करीब 350 लाख मीट्र‍िक टन यूर‍िया और 125 लाख मीट्र‍िक टन डीएपी की खपत होती है. इसी तरह लगभग 125 लाख मीट्र‍िक टन एनपीके और 50 लाख (म्यूरेट ऑफ पोटाश) की जरूरत पड़ती है. यह रबी और खरीफ दोनों सीजन की मांग है. 1 अप्रैल से स‍ितंबर तक खरीफ सीजन और अक्टूबर से मार्च तक रबी सीजन होता है. सरकार की कोश‍िश है क‍ि इस क‍िसानों पर दाम का बोझ न पड़े. 

उर्वरकों पर क‍ितनी सब्स‍िडी 

  • मनसुख मांडव‍िया ने कहा क‍ि साल 2022-23 में सरकार ने यूर‍िया के प्रत‍ि बैग पर 2126 रुपये की सब्स‍िडी दी. जबक‍ि क‍िसान को 267 रुपये में म‍िल रहा है.  
  • डीएपी की एक्चुअल लागत लगभग 4000 रुपये प्रत‍ि बैग है. इस पर 2461 रुपये की सब्स‍िडी दी जा रही है. मार्केट में यह क‍िसानों को 1350 रुपये के दाम पर उपलब्ध‍ है.
  • एनपीके यानी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश पर 1639 रुपये प्रत‍ि बैग और एमओपी पर 734 रुपये की सब्स‍िडी दी जा रही है. 

खरीफ सीजन के ल‍िए खाद का पर्याप्त स्टॉक

मनसुख मांडव‍िया ने बताया क‍ि सरकार के पास खरीफ सीजन की मांग पूरी करने के ल‍िए उर्वरकों का पर्याप्त स्टॉक है. इसल‍िए क‍िसानों को च‍िंता करने की जरूरत नहीं है. इस समय 75 लाख मीट्र‍िक टन यूर‍िया, 36 लाख टन डीएपी और 45 लाख टन एनपीके, एमओपी उपलब्ध‍ है. इस तरह 150 लाख मीट्र‍िक टन से अध‍िक उर्वरक अभी उपलब्ध है. अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के ल‍िए क‍िसानों को पर्याप्त खाद म‍िल सकेगी. 

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