खरीफनामा: संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को इंटरनेशन ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है. जिसको लेकर दुनिया के कई देशों में मोटे अनाजों को लेकर कई कार्यक्रम चलाएं जा रहे हैं. भारत में भी मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जा रहा है. मोटे अनाजों को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य ये है कि ये फसलें पोषण से भरपूर हैं, जो कुपाेषण के खिलाफ सरकारों के अभियान को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है. असल में महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण की समस्या अधिक है. विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों में आयरन एवं जिंक की कमी पाई गई है. किसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में हम आपको मोटे अनाजों में शामिल खरीफ की बायोफोर्टिपाइड किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं. ये बायोफोर्टिफाइड किस्में किसानों का मुनाफा बढ़ाने में सक्षम हैं. आइए जानते हैं कि बाजरे की बायोफोर्टिफाइड किस्मों के बारे में पूरी जानकारी.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआई) पूसा के जैनेटिक्स डिविजन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुमेर पाल सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर और बेहतर पैदावार देने वाली बाजरा की कृषि वैज्ञानिकों ने बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की हैं, जिसका उद्देश्य ये है कि सभी लोगों को उनके आहार में सभी पोषक तत्व मिल सकें.
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बायोफोर्टिफाइड किस्म ( जैव संवर्धित किस्म) सूक्ष्म पोषक तत्व वाली फसल के किस्मों से उच्च उपज देने वाली फसल किस्मों को क्राॅस कराके उगाई जाती हैं.
किसान तक से बातचीत में डॉ सिंह ने कहा कि देश की बाजरे की पहली बायोफोर्टिफाइड किस्म का नाम धनशक्ति है. इसे आईसीआरआईएसएटी हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया है. धनशक्ति को साल 2014 में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पंजाब आदि राज्यों की लिए जारी किया गया है. इसमें आयरन की मात्रा 76-91 और जिंक 39-48 पीपीएम है. धनशक्ति की औसत उपज 24.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 83 दिन में पक जाती है.
किसान तक से बातचीत में डॉ सुमेर पाल सिंह ने कहा बाजारे की अन्य बायोफोर्टिफाइड किस्मों में HHB 299, HHB 311 भी है. उन्होंने बताया कि एचएचबी 299 किस्म की औसत उपज 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और ये लगभग 81 दिन में पक जाती हैं. इसमें आयरन 73 और जस्ता 41 पीपीएम है. तो वहीं एचएचबी 311 की औसत उपज 31.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 81 दिन में पक जाती है. इसमें आयरन 83 पीपीएम है. इन दोनों किस्म को राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु आदि राज्यों के लिए जारी किया गया है. ये किस्में सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार एवं आईसीआरआईएसएटी, हैदराबाद द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है.
एचएचबी 67 इम्प्रूव्ड की औसत उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 76 दिन में पक जाती है. इसमें आयरन 54.8 और जिंक 39.6 पीपीएम है और एएचबी 1269 एफइ की औसत उपज 31.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 82 दिन में पक जाती है. इसमें आयरन 91 एवं जिंक 43 पीपीएम है. यह दोनों किस्म सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार एवं आईसीआरआईएसएटी, हैदराबाद द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है. एचएचबी 67 इम्प्रूव्ड 2 को राजस्थान हरियाणा एवं गुजरात के लिए जारी किया गया है.
किसान तक से बातचीत में डॉ सिंह ने कहा कि बाजरे की पूसा 1201 एक संकर किस्म हैं. इस संकर किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ने विकसित किया है. पूसा 1201 की औसत उपज 28.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 78-80 दिन में पक जाती है. इसे दिल्ली एवं आस-पास के क्षेत्रों के लिए 2018 में जारी किया गया. इसमें आयरन 55 पीपीएम और जिंक 48 पीपीएम है.
आरएचबी 233 की औसत उपज 31.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 80 दिन में पक जाती है. इसमें आयरन 83 और जिंक 46 पीपीएम है. आरएचबी 234 की औसत उपज 31.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म लगभग 81 दिन में पक जाती है. इसमें आयरन 84 और जिंक 46 पीपीएम है. यह दोनों किस्में श्रीकर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर द्वारा विकसित की गई है. इन दोनों किस्मों को राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के लिए जारी किया है.