खाद की मांग और बिक्री में बड़ा अंतर, संसदीय समित‍ि ने सरकार के अनुमान पर उठाए सवाल, विभाग को दी ये सलाह

खाद की मांग और बिक्री में बड़ा अंतर, संसदीय समित‍ि ने सरकार के अनुमान पर उठाए सवाल, विभाग को दी ये सलाह

इस साल रबी सीजन की शुरुआत से ही किसान खाद की कमी होने और संकट की बात कह रहे थे. लगातार मीडिया में इसकी चर्चा होती रही. लेकिन, सरकार दावा करती रही कि देश में खाद उपलब्‍ध है. अब रसायन और उर्वरक पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के अनुमान की सटीकता पर सवाल खड़े किए हैं, क्‍योंकि खाद तो उपलब्‍ध थी, लेकिन बिक्री कम हुई. जबिक देश में किसान इसके लिए परेशान हो रहे थे.

DAP fertilizer demand and supply estimateDAP fertilizer demand and supply estimate
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 20, 2024,
  • Updated Dec 20, 2024, 1:48 PM IST

राज्यसभा सांसद कीर्ति आजाद की अध्यक्षता वाली रसायन और उर्वरक पर संसदीय स्थायी समिति ने खाद की मांग पर सरकार की ओर से जारी अनुमान की सटीकता पर सवाल उठाया है. स्थायी समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर में खाद संकट खड़ा होने के कारण किसानों की ओर से 1,600 रुपये से 1,700 रुपये प्रति बैग डीएपी खरीदने की जानकारी मीडिया रिपोर्टों में सामने आ रही थीं, इस ओर जब सरकार को ध्यान दिलाया गया तो सरकार ने अक्टूबर 2024 के दौरान देश में डीएपी खाद की उपलब्धता आरामदायक बनी रहने की बात‍ कही थी.

खाद मंत्रालय की ओर से जारी नए आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर के दौरान कुल 124.51 लाख टन खाद की ब‍िक्री हुई. इसमें यूरिया, डीएपी, एमओपी और कॉम्प्लेक्स खाद शामिल हैं. वहीं, अक्‍टूबर में अनुमानित मांग 155.12 लाख टन थी. ऐसे में इसमें 30.61 लाख टन का अंतर साफ दिखता है.

मांग और बिक्री में बड़ा अंंतर

समित‍ि ने रिपोर्ट में पाया कि सरकार के आकलन के हिसाब में खाद की मांग और बिक्री में बड़ा अंतर है. बुवाई के शुरुआती समय के दौरान खाद की काला बाजारी की रिपोर्ट भी सामने आ रही थीं. हालांकि, सरकार ने पर्याप्‍त खाद उपलब्‍ध होने का दावा किया. 

अक्‍टूबर में था खाद का इतना स्‍टॉक

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने संसदीय पैनल को बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से आंकी गई 18.69 लाख टन डीएपी की मासिक जरूरत की तुलना में 22.88 लाख टन डीएपी खाद उपलब्ध थी, ज‍बकि‍ अक्टूबर के दौरान डीएपी की बिक्री सिर्फ 11.48 लाख टन थी. 

ये भी पढ़ें - यूपी में गंगा किनारे 1000 से अधिक गांवों में रसायन मुक्त खेती पर फोकस, पढ़िए ये रिपोर्ट

सप्‍लाई-डिस्‍ट्रीब्‍यूशन में सुधार की सलाह

रिपोर्ट में समिति ने पाया कि मीडिया में छपी रिपोर्ट्स इस बात पर इशारा करती हैं कि खाद तो उपलब्‍ध थी, लेकिन किसानों को इस खरीदने के लिए समस्‍याएं झेलनी पड़ी. समिति‍ ने खाद विभाग को सप्‍लाई और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन सिस्‍टम की समीक्षा करने की सलाह दी है, ताकि सभी जिलों में आवंटित खाद समय से पहले वितरण केंद्रों तक पहुंच जाएं.

समय से पहले केंद्र पहुंचे खाद

खासकर रबी और खरीफ सीजन की शुरुआत से 10-15 पहले. पैनल ने भविष्य में खाद संकट खड़ा न हो इसकी संभावना को कम करने के लिए राज्यों में ही बफर स्टॉक के माध्यम से जरूरत के समय सप्‍लाई बढ़ाने की सिफारिश की है. 

मालूम हो कि भारत खाद के सबसे बड़े आयातक देशों में शामिल है. बड़े पैमाने पर विदेशों से यहां खाद मंगाई जाती है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, खाद मंत्रालय देश की रसायन व उर्वरक कंपनियों को खाद के मामले में संसाधन संपन्‍न देशों के साथ उद्यम स्‍थाप‍ित कर देश में खाद की पर्याप्‍तता बनाए रखने के लिए प्रोत्‍साहित कर रहा है.

MORE NEWS

Read more!