देश के कई राज्यों में इस रबी सीजन DAP का संकट देखने को मिला. ऐसा ही हाल मध्य प्रदेश के मुरैना जिले का रहा जहां किसान बीते चार साल से डीएपी और यूरिया खाद का संकट झेल रहे हैं. इस बार भी रबी सीजन में गेहूं और सरसों की बुवाई के लिए किसानों को डीएपी और यूरिया खाद नहीं मिला. बोरे में आने वाले डीएपी खाद के विकल्प के तौर पर सरकार ने बोतल में तरल रूप में आने वाले नैनो डीएपी और यूरिया खाद को विकसित किया है, लेकिन जिले के अधिकांश किसान नैनो खाद पर विश्वास नहीं कर रहे है. वहीं, जिन किसानों ने नैनो डीएपी और यूरिया का उपयोग फसल में किया है, उनकी फसल की गुणवत्ता और पैदावार में बढ़ोतरी हुई है.
अब यह किसान दूसरों को भी नैनो खाद के उपयोग की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि इससे खाद का खर्च कम हुआ है और खेतों की मिट्टी में बढ़ने वाले जहरीले केमिकल का खतरा भी घटा है. बता दें की खरीफ में उपयोग किए गया नैनो डीएपी के इस्तेमाल से धान ढाई मन ज्यादा हुई है तो वहीं किसानों ने धनिया छह बार काटा है.
महाराजपुरा गांव के किसान गंधर्व सिंह यादव ने पांच बीघा से ज्यादा धान की खेती में नैनो डीएपी और नैनो यूरिया का उपयोग किया. वहीं, आसपास के किसानों ने बोरे में आने वाले खाद उपयोग किए. गंधर्व के खेत की धान के पौधे घने और उनके धान के दाने भी अधिक थे. नतीजा यह निकला कि अन्य किसानों के खेत में प्रति बीघा 19-20 मन (एक मन 40 किलो) की पैदावार हुई, जबकि गंधर्व सिंह के खेत में साढ़े 22 मन, यानी एक क्विंटल ज्यादा धान हुआ.
ये भी पढ़ें:- नहीं पड़ेगी यूरिया और डीएपी की जरूरत, IFFCO ने बनाई नई खाद, मात्र इतनी रहेगी कीमत
वहीं, जौरा तहसील के जाफराबाद गांव के किसान कमलेश कुशवाहा बताते हैं, कि धनिया, गाजर, मूली, शकरकंद, गोभी आदि फसलों में नैनो खाद उपयोग किया. उन्होंने बताया कि सामान्य खाद का उपयोग करने वाले किसान पौधे की चार बार कटिंग कर सब्जी मंडी में हरा धनिया बेच पाए, जबकि कमलेश ने नैनो खाद से हुए धनिया की अब तक छह बार कटिंग कर चुके हैं. गोभी, गाजर, शकरकंद आदि सब्जियों की चमक, पैदावार और आकार सामान्य खाद से ज्यादा है. कमलेश को देख उसके बड़े भाई कुंवरपाल और अन्य ग्रामीण भी अब नैनो खाद का उपयोग कर रहे हैं.
बता दें कि डीएपी खाद का एक बोरा 1355 रुपये का है. वहीं, नैनो डीएपी की एक बोतल मात्र 600 की है नैनो यूरिया खाद का बोरा 277 रुपये का है, जबकि नैनो डीएपी 225 रुपये की बोतल 500 एमएल की बोतल 50 किलो खाद के बराबर जमीन में उपयोग होती है. इससे किसानों का खर्च आधा हुआ है. सरकारी खजाने के लिए नैनो यूरिया इसलिए फायदेमंद है, क्योंकि डीएपी और यूरिया के बोरे पर सरकार को 1083 और 1700 रुपये की सब्सिडी देनी पड़ती है, वहीं नैनो यूरिया पर सरकार कोई सब्सिडी नहीं देती.
कृषि अनुसंधान केंद्र, मुरैना के कृषि वैज्ञानिक डा. संदीप सिंह तोमर ने बताया कि सामान्य खाद फसल पर फेंककर (भुरककर) डाला जाता है. वहीं, नैनो यूरिया खाद खेत की मिट्टी में मिल जाता है, जिससे खाद का केमिकल मिट्टी में घुल जाता है. नैनो खाद से बीज उपचार होता है, फिर पौधे पर छिड़का जाता है, यह खाद मिट्टी के संपर्क में बहुत कम आता है, इसलिए मिट्टी प्रदूषित नहीं होती है. यानी कुल मिलाकर किसान DAP की जगह नैनो यूरिया का भी इस्तेमाल करके अच्छी उपज ले सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today