तेलंगाना में यूरिया का संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है. यहां के कई बड़े गांवों में किसानों का प्रदर्शन जारी है. यूरिया की भारी कमी के कारण तेलंगाना में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और किसान कई सड़कें ब्लॉक कर रहे हैं. साथ ही सरकार की निष्क्रियता पर निराशा व्यक्त कर रहे हैं. यहां के नारायणपेट से लेकर कामारेड्डी तक यूरिया के संकट ने किसानों को नाराज कर दिया है. बताया जा रहा है कि यूरिया के लिए लाइन में लगी एक महिला किसान के गिर जाने से बाकी किसानों में गुस्से की जहर है. किसानों आग जलाने तक की घटनाओं के साथ अपनी नाराजगी जता रहे हैं.
राज्य भर में सड़क जाम करने से लेकर किसानों की तरफ से पिछले दिनों हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. किसान, खरीफ की महत्वपूर्ण तैयारियों के दौरान यूरिया सप्लाई में सरकारी लापरवाही के खिलाफ अपनी नाराजगी जता रहे हैं. राज्य में यूरिया की कमी गंभीर हो गई है जिससे किसानों को अपनी फसलों के लिए जरूरी उर्वरक हासिल करने में संघर्ष करना पड़ रहा है. कई किसानों को एक बोरी भी उर्वरक हासिल करने में मुश्किल हो रही है. उनका आरोप है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार इस संकट का प्रभावी ढंग से समाधान करने में असफल रही है.
पिछले दिनों यहां के नारायणपेट जिले के तिलेरू गांव में स्थित प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (PACS) केंद्र पर तनाव बढ़ गया. किसानों ने यूरिया की मांग को लेकर 'रास्ता रोको' आंदोलन किया. लेकिन स्थिति तब और बिगड़ गई जब यूरिया के लिए लंबी कतार में इंतजार करते हुए एक महिला किसान मनेम्मा बेहोश हो गईं. उन्हें तुरंत 108 एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया. गुस्साई भीड़ को नियंत्रित करने और बार-बार कतार में आने से रोकने के लिए, अधिकारियों ने किसानों के लिए स्याही से मार्किंग की और यूरिया आवंटन के लिए टोकन बांटे.
30 अगस्त को ही इसी PACS केंद्र पर हुए विवाद के दौरान एक किसान को एक सब-इंस्पेक्टर ने थप्पड़ मार दिया था. इसके बाद पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आक्रोश और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. रमन्नापेट मंडल में, किसान सड़कों पर उतर आए और पर्याप्त यूरिया सप्लाई की मांग को लेकर PACS ऑफिस के सामने चित्याल-भोंगीर हाइवे जाम कर दिया. राज्य के सूर्यपेट जिले के तहत आने वाले तुंगतुर्थी गांव में तो किसान सुबह 5 बजे से ही किसान सेवा सहकारी समिति के बाहर कतारों में अपने जूते-चप्पल उतारकर रख देते हैं.
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