प्लांट वैराइटी और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) द्वारा किसानों के अधिकारों पर भारत में पहली बार वैश्विक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. नई दिल्ली स्थित नेशनल अकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (NAAS) कांप्लेक्स में 12 से 15 सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में दुनिया के 150 देशों के कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे. इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ का कृषि और खाद्य संगठन (FAO) भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है. मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इसकी शुरुआत करेंगी. जी-20 की बैठक खत्म होने के बाद अब कृषि क्षेत्र में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. भारत ने किसानों के अधिकारों पर सबसे पहले एक्ट बनाकर दुनिया को नई राह दिखाई है.
उद्घाटन समारोह में वर्ष 2021 और 2022 के लिए छह किसान समुदायों को 10-10 लाख रुपये का 'प्लांट जीनोम सेवियर कम्युनिटी अवॉर्ड' दिया जाएगा. यह पुरस्कार देसी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए दिया जाता है. जबकि, 20 अन्य किसानों को एक और डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का अवार्ड दिया जाएगा. इस मौके पर राष्ट्रपति प्लांट अथॉरिटी भवन और ऑनलाइन पौधा किस्म पंजीकरण पोर्टल की शुरुआत भी करेंगी. इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहेंगे.
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कार्यक्रम में तीन दिन तक सीड वैराइटी के एक्सचेंज और अलग-अलग देशों में किसानों के अधिकार को लेकर मंथन होगा.इसमें किसानों के अधिकारों को लागू करने में नए दृष्टिकोण और प्रभावी नीतियों पर चर्चा होगी. अलग-अलग देश अपने-अपने देश में किसानों के अधिकारों की बात रखेंगे. नास कांप्लेक्स में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी अथॉरिटी के चेयरमैन त्रिलोचन महापात्र ने दी है. उन्होंने बताया कि वैश्विक संगोष्ठी में 500 से अधिक प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है. प्रेस कांफ्रेंस में एफएओ मुख्यालय रोम के सचिव डॉ. केंट ननाडोजी जी-20 की सफलता और भारत की मेजबानी से गदगद दिखे.
भारत अपने पीपीवीएफआर अधिनियम, 2001 के तहत पौधा किस्म रजिस्ट्रेशन के माध्यम से किसानों के अधिकारों को शामिल करने वाला दुनिया का पहला देश है. किसान अपनी किस्म खुद तैयार करके उसका रजिस्ट्रेशन करवा सकता है. अब तक, पीपीवीएफआर प्राधिकरण ने अब तक 5,293 पौधा किस्मों का रजिस्ट्रेशन किया है. जिनमें 2,073 किस्में किसानों की हैं. यह करीब 40 फीसदी के आसपास है.
इस अधिनियम के तहत अब तक 35 किसान समुदायों को मान्यता दी गई है. प्रत्येक को दस लाख रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जबकि 51 किसानों को डेढ़ लाख रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इसी तरह पौधा किस्मों या आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अब तक 80 किसानों को पुरस्कार के रूप में एक-एक लाख रुपये दिए गए हैं.
खाद्य और कृषि के लिए प्लांट जेनेटिक्स संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि भी है. जिसके 150 देश सदस्य हैं. इन सभी देशों के वैज्ञानिक इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. जैव विविधता और वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में किसान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए इनके अधिकारों को लेकर इस कार्यक्रम में एक अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी. खाद्य और कृषि के लिए प्लांट जेनेटिक्स के संरक्षण और विकास में स्थानीय और स्वदेशी समुदायों और किसानों की भूमिका अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद 9 में बताई गई है. लेकिन, यह किसी देश के लिए बाध्यकारी नहीं है.
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