एमपी में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. इसके मद्देनजर दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने इन दिनों एमपी में ही डेरा डाल दिया है. इस कवायद में पीएम मोदी भी पीछे नहीं हैं. गत 14 सितंबर को बीना और 25 सितंबर को भोपाल में अपने प्रवास के दौरान एमपी को विकास कार्यों की अनेक सौगात देने के बाद अब वह गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर को चंबल संभाग में ग्वालियर आएंगे. एमपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि मोदी के मन में एमपी है, इसलिए वह एमपी काे तमाम तरह की सौगात देने ग्वालियर आ रहे हैं.
मध्य प्रदेश में 70 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण इलाका है. खासकर ग्वालियर चंबल संभाग पूरी तरह से कृषि प्रधान क्षेत्र माना जाता है. आजादी के बाद सात दशक तक विकास की धारा से कटे रहे इस ग्रामीण इलाके के लोगों को पीएम मोदी द्वारा खेती किसानी से जुड़ी सहूलियतें देने की उम्मीद है.
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शर्मा ने भरोसा जताया कि इस बार ग्वालियर-चंबल के गांव देहात और किसानों को पीएम से खास सौगात मिलेंगी. उन्होंने कहा कि इस इलाके के किसानों के लिए खेती को सुगम और मुनाफे का सौदा बनाने के लिए केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार लगातार प्रयास कर रही है. पीएम मोदी का आगामी ग्वालियर दौरा इन प्रयासों को मंजिल के निकट ले जायेंगे.
शर्मा ने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें मध्य प्रदेश में ढांचागत सुविधाओं के क्षेत्र में लगातार विकास कर रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सूखे बुंदेलखंड को हरा-भरा और समृद्ध बनाने के लिए 44,605 करोड़ रुपये की केन बेतवा लिंक परियोजना को मंजूरी दी है. इससे यूपी सहित एमपी के बुंदेलखंड इलाके में किसानों को जलसंकट से निजात मिलेगी. साथ ही यह इलाका हरा भरा भी होगा.
शर्मा ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने बीना रिफाइनरी में 50 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले नए पेट्रोकेमिकल काँपलेक्स की आधारशिला रखी. इससे बीना क्षेत्र का विकास होगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा. उन्होंने दावा किया कि एमपी में डबल इंजन की सरकार होने के कारण ही प्रदेश के 1.36 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके हैं. उन्होंने भरोसा जताया कि भाजपा की सरकार ने बीमारू मध्य प्रदेश को विकसित राज्य बनाया है और चुनाव के बाद एमपी में बनने वाली डबल इंजन की सरकार, इस प्रदेश को 'स्वर्णिम मध्य प्रदेश' बनाएगी.
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ग्वालियर चंबल संभाग के चुनावी समीकरणों की बात करें तो पिछले चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा काे इस इलाके से कांग्रेस ने खासी शिकस्त दी थी. ग्रामीण बहुल मतदाताओं वाले राज्य एमपी में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. इनमें से 34 सीट विशुद्ध ग्रामीण बहुलता वाले ग्वालियर चंबल संभाग की हैं.
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम के मुताबिक इस क्षेत्र की 26 सीटें कांग्रेस ने और महज 7 सीटें भाजपा ने जीती थीं. जबकि एक सीट बसपा के खाते में गई थी. हालांकि चुनाव के 15 महीने बाद इस इलाके के क्षत्रप कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी के लगभग दो दर्जन विधायक तोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया. फिलहाल वह भाजपा के बैनर तले चुनावी मैदान में हैं. आगामी चुनाव में यह देखने वाली दिलचस्प बात होगी कि जनता उन्हें कितनी अहमियत देती है. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक ग्वालियर चंबल संभाग में भाजपा का चुनावी रिपोर्ट कार्ड भी टीम सिंधिया के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा.