बुंदेल बरसीम-9, जिसे वैज्ञानिक नाम JHB-20-1 से जाना जाता है, एक उन्नत किस्म की चारा फसल है जिसे आईसीएआर-भारतीय घास और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी (ICAR-IGFRI, Jhansi) ने विकसित किया है. यह किस्म खासतौर पर रबी सीजन के लिए बनाई गई है और मध्य भारत के कई राज्यों में इसकी सिफारिश की जाती है.
बुंदेल बरसीम-9 को मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में रबी सीजन (अक्टूबर-नवंबर) के दौरान बोने की सलाह दी जाती है. यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और समय पर बोई जाए तो बहुत ही अच्छा उत्पादन देती है.
इस किस्म को समय पर बोना बहुत जरूरी है. इसकी खेती सिंचित भूमि में करें, ताकि अच्छे परिणाम मिलें. उचित सिंचाई और देखभाल से यह किस्म अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन करती है.
यह आंकड़े इस किस्म की उच्च उत्पादन क्षमता को दर्शाते हैं. पशुओं के लिए यह एक पोषणयुक्त चारा है, जिससे दूध उत्पादन में भी सुधार हो सकता है.
बुंदेल बरसीम-9 किस्म को पकने में लगभग 140 दिन लगते हैं. यह समय रबी सीजन के अनुसार उपयुक्त है और फसल कटाई के लिए सही होता है.
बुंदेल बरसीम-9 किस्म फॉस्फेट उर्वरकों के प्रति उत्तरदायी है. यानी, यदि खेत में फॉस्फेट की उचित मात्रा डाली जाए, तो फसल का उत्पादन और भी अधिक बढ़ सकता है.
बुंदेल बरसीम-9 (JHB-20-1) एक अत्यधिक उत्पादन देने वाली, पोषक तत्वों से भरपूर और रोगों से काफी हद तक सुरक्षित चारा फसल है. इसे रबी सीजन में समय पर बोकर किसान पशुओं को पौष्टिक आहार दे सकते हैं और दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं. यह किस्म मध्य भारत के किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है.