मॉनसून की विदाई के बाद अब सर्दियों का मौसम आने को है. जैसे-जैसे ठंडी हवाएं चलने लगती हैं और तापमान गिरता है, वैसे-वैसे पौधों की देखभाल का तरीका भी बदल जाता है. बरसात में पौधों को पर्याप्त नमी मिल जाती है, लेकिन सर्दियों में पानी की जरूरत कम हो जाती है. ऐसे में यदि समय और मात्रा का ध्यान न रखा जाए तो पौधे या तो सूख सकते हैं या फिर ज्यादा पानी से उनकी जड़ें सड़ सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि किसानों और बागवानों को यह पता हो कि सर्दियों में पौधों में कब और कितना पानी डालना चाहिए.
सर्दियों के मौसम में पौधों की पानी की जरूरत कम हो जाती है, लेकिन समय पर और सही तरीके से सिंचाई करना बेहद जरूरी है. सुबह के समय जरूरत के अनुसार गहरी सिंचाई करना और मिट्टी की नमी पर नजर रखना पौधों को ठंड में स्वस्थ रखेगा. याद रखें, सर्दियों में ज्यादा पानी देना उतना ही नुकसानदायक है जितना कि पानी की कमी.
सर्दियों में पौधों में पानी डालने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है. इस समय तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है और पौधे दिनभर धूप में पानी का उपयोग कर पाते हैं. रात के समय पानी देने से ठंडी हवाओं और नमी के कारण जड़ों में फफूंदी लगने का खतरा बढ़ जाता है. मल्चिंग (पौधों के आसपास सूखी पत्तियां या घास बिछाना) से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है. इससे बार-बार पानी देने की जरूरत कम हो जाती है.
सर्दियों में पौधों की पानी की मांग काफी कम हो जाती है. आमतौर पर सप्ताह में एक से दो बार पानी देना पर्याप्त होता है. हालांकि, यह मिट्टी के प्रकार और पौधों की किस्म पर निर्भर करता है. रेतीली मिट्टी में नमी जल्दी खत्म होती है, जबकि चिकनी मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है. गमलों में लगे पौधे जल्दी सूखते हैं, इसलिए उन्हें बगीचे के पौधों की तुलना में थोड़ा जल्दी पानी देने की जरूरत होती है. इसके बावजूद रोजाना पानी डालने की आदत से बचना चाहिए.
पौधों की पत्तियां उनकी पानी की जरूरत का संकेत देती हैं. अगर पत्तियां मुरझाने लगें तो यह संकेत है कि पौधे को पानी चाहिए. वहीं यदि मिट्टी हमेशा गीली बनी रहती है तो इसका मतलब है कि पानी ज्यादा दिया जा रहा है. सर्दियों में हल्का-फुल्का ऊपर से पानी देने के बजाय गहरी सिंचाई करें ताकि पौधों की जड़ों तक नमी पहुंच सके. इससे जड़ें मजबूत होंगी और पौधे मौसम की मार झेल पाएंगे.
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