हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के सेब किसान इस बार बेहद कठिन मौसम और इनफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं. भारी बारिश, ओलावृष्टि और लगातार हुई बरसात ने सेब की फसलों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है. इसके साथ ही पत्ते झड़ने की बीमारी यानी लीफ ड्रॉप डिजीज ने हालात को और बिगाड़ दिया है. सेब की बड़ी खेप बर्बाद हो चुकी है जिससे उत्पादन घटा है और बाजार में कम गुणवत्ता वाले सेब पहुंच रहे हैं.
पिछले साल की तुलना में इस बार सेब के दाम भी गिर गए हैं, जिससे किसानों को अपने खर्च तक निकालना मुश्किल हो गया है. खराब सड़कों के कारण माल बाजार तक देर से पहुंच रहा है, जिससे उनकी कीमत और भी कम हो रही है. किसान भारी आर्थिक नुकसान से जूझ रहे हैं और भविष्य को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं. उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन के असर और सरकार की ओर से उचित सहयोग न मिलने से उनकी आजीविका खतरे में है.
शिमला के किसान अनिल देशटा ने बताया कि भारी बारिश से उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई. बाजार में सेब उत्पादन लागत तक का भाव नहीं दिला पाए. सड़कें टूटी होने से माल देर से पहुंचा जिससे नुकसान और बढ़ गया. देशटा का कहना है कि अब वे वैकल्पिक फसलों या दूसरे व्यवसाय की ओर रुख करने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि सेब की खेती का भविष्य अनिश्चित दिखाई दे रहा है.
उन्होंने कहा, 'इस बार मौसम ने सेब की फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. बारिश ने हमारी मेहनत डुबो दी और सेब बाजार में लागत मूल्य तक नहीं दे पाए. टूटी सड़कों से माल समय पर नहीं पहुंच पाया. सेब की खेती का भविष्य अंधकारमय लगता है और सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. हर साल बीमारी लगती है और इस बार भी हालात काबू से बाहर हैं.'
एक और किसान ने बताया कि प्रतिकूल मौसम से सेब के पेड़ों में पत्ते झड़ गए, उत्पादन घटा और इस बार सेब की कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी नीचे आ गईं. उन्होंने कहा, 'मौसम ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है. पत्ते झड़ने से उत्पादन घटा है. इस बार दाम बेहद कम मिले. टूटी सड़कें हालात को और बिगाड़ रही हैं. सामान समय पर बाजार नहीं पहुंच पा रहा. यह समस्या व्यापक है.'
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