Farming Tips: जलवायु परिवर्तन से नहीं घटेगी पैदावार, इन पांच तरीकों से खेती करें किसान

Farming Tips: जलवायु परिवर्तन से नहीं घटेगी पैदावार, इन पांच तरीकों से खेती करें किसान

फसलों की ऐसी वैरायटी पर काम हो रहा है जो अधिक तापमान में भी ज्यादा उपज दे सकें. गेहूं पर तापमान के प्रतिकूल असर को देखते हुए इसकी हीट टोलरेंट वैरायटी पर रिसर्च जारी है. कुछ किस्में बाजार में आ भी गई हैं, लेकिन आने वाले दिनों में अधिक से अधिक वैरायटी देखने को मिलेंगी.

जलवायु परिवर्तन को देखते हुए गेहूं की हीट टोलरेंट वैरायटी पर काम हो रहा हैजलवायु परिवर्तन को देखते हुए गेहूं की हीट टोलरेंट वैरायटी पर काम हो रहा है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 13, 2023,
  • Updated Jul 13, 2023, 1:27 PM IST

खेती पर जलवायु परिवर्तन की तगड़ी मार देखी जा रही है. कभी तेज बारिश तो कभी तेज गर्मी...इससे फसलों की पैदावार पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. इसे देखते हुए ऐसी खेती पर ध्यान दिया जा रहा है जो जलवायु के हिसाब से उपयुक्त हो. चूंकि जलवायु परिवर्तन को इतनी आसानी से या इतनी जल्दी रोक पाना संभव नहीं है, इसलिए किसानों को वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान देने के लिए कहा जा रहा है. खेती के उन तरीकों पर फोकस करने के लिए कहा जा रहा है जिससे पैदावार अच्छी मिले और किसानों की आमदनी भी बढ़ती रहे.

इस दिशा में फूड्स कंपनी आईटीसी ने बड़ी पहल की है. आईटीसी का कहना है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कंपनी ने क्लाइमेट स्मार्ट खेती को बढ़ावा दिया है. इसकी मदद से अधिक पैदावार मिलने के साथ कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा रहा है. आईटीसी का दावा है कि उसकी क्लाइमेट स्मार्ट खेती से 17 राज्यों के सात लाख से अधिक किसानों को फायदा मिल रहा है जो 23 लाख एकड़ में खेती करते हैं. आईटीसी के मुताबिक 2016 से 2021 के बीच किसानों की आमदनी 90 फीसद से अधिक बढ़ाई गई है.

क्लाइमेट स्मार्ट खेती के लिए आईटीसी ने जिन तरीकों का इस्तेमाल किया है, उनमें सबसे प्रमुख है अधिक तापमान बर्दाश्त करने वाली फसलों की वैरायटी. इसके अलावा फसल चक्र के मुताबिक बुआई, समय से बुआई, क्यारीनुमा खेती, मल्चिंग, सूक्ष्म सिंचाई और फसलों में से तापमान घटाने के लिए स्प्रे का उपयोग क्लाइमेट स्मार्ट खेती का हिस्सा हैं. ये सभी कारगर फैक्टर हैं जिसके बारे में आईटीसी ने जानकारी दी है. आईटीसी का कहना है कि उसने अपने अभियान में किसानों को खेती की इन नई तकनीक के बारे में बताया है जिससे उन्हें पैदावार और इनकम बढ़ाने में मदद मिली है.

1-हीट टोलरेंट वैरायटी

फसलों की ऐसी वैरायटी पर काम हो रहा है जो अधिक तापमान में भी ज्यादा उपज दे सकें. गेहूं पर तापमान के प्रतिकूल असर को देखते हुए इसकी हीट टोलरेंट वैरायटी पर रिसर्च जारी है. कुछ किस्में बाजार में आ भी गई हैं, लेकिन आने वाले दिनों में अधिक से अधिक वैरायटी देखने को मिलेंगी. ये वैरायटी जलवायु परिवर्तन को मात देंगी और किसानों को पैदावार अच्छी मिलेगी. हीट स्ट्रेस बढ़ने पर भी इन नई वैरायटी का उत्पादन नहीं गिरेगा. 

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2-क्यारी बनाकर बुआई

खेतों में अगर क्यारी या मेंढ़ बनाकर फसल की बुआई की जाए तो उसके कई फायदे हैं. क्लाइमेट स्मार्ट खेती में इस तकनीक को भी शामिल किया गया है. इसका बड़ा फायदा ये है कि अचानक अधिक बारिश हो जाए और खेतों में पानी लग जाए तो क्यारी की मदद से सरप्लस पानी को बाहर निकाला जा सकता है. क्यारी के ऊपर फसल की बुआई करने से बीज या पौधे के खराब होने का खतरा भी नहीं होता. इस विधि से पौधे को उतना ही पानी दिया जाता है, जितना उसे जरूरत होती है.

3-मल्चिंग

मल्चिंग खेती की ऐसी विधि है जिसमें बेहद कम खर्च में अच्छी पैदावार ली जा सकती है. मल्चिंग की मदद से खेत में नमी बनाए रखी जाती है जिससे कम पानी या सूखे की स्थिति में भी फसल को फायदा हो सके. इसके अलावा खेतों में खरपतवार को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पौधों को सुरक्षित रखने के लिए मल्चिंग की मदद ली जाती है. जलवायु परिवर्तन में तापमान बढ़ने से फसलों के खराब होने का सबसे अधिक खतरा होता है जिसे मल्चिंग से रोका जा सकता है.

4-सूक्ष्म सिंचाई

जलवायु परिवर्तन में सिंचाई के लिए पानी की समस्या बड़ी होती जा रही है. ऐसे में जल संकट को देखते हुए ऐसी खेती पर फोकस है जो कम पानी ले और पैदावार भरपूर दे. इसके लिए उन फसलों की खेती पर ध्यान दिया जा रहा है जो धान आदि का विकल्प हो. धान और गन्ने जैसी फसल अधिक पानी पीती हैं, लेकिन उसके बदले किसान बासमती या कपास की खेती करें तो उन्हें अच्छी कमाई हो सकती है. इसके अलावा सूक्ष्म सिंचाई जैसे कि ड्रिप इरीगेशन की मदद से कम पानी में बेहतर पैदावार ली जा सकती है.

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5-फसल प्रबंधन

जलवायु परिवर्तन से फसलों का प्रबंधन बहुत जरूरी है. खेती के अलावा फसल की कटाई के बाद उपज को कैसे रखना है, इसका बेहतर प्रबंधन जरूरी है. फसल प्रबंधन में चारे की खेती और उसका रखरखाव भी आता है. केमिकल खादों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरकता घट रही है, पोषक तत्वों की कमी हो रही है जिससे चारे का पौधा कम हो रहा है या उसकी ग्रोथ घट रही है. इसलिए ऐसी तकनीक अपनाने पर जोर है जिससे चारे की कमी न हो. फसल प्रबंधन में फसलों को रोग और कीटों से बचाने की तकनीक आती है. रोग और कीटों से फसलों को बचा लें तो किसानों को अच्छी पैदावार मिलेगी.

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