Barseem farming: मई का महीना खेती-बाड़ी में काफी अहम माना जाता है. इस महीने में किसानों को अपनी खेतों में कई सारे काम करने होते हैं. गेहूं की कटनी से लेकर जायद फसलों की देखरेख करना. इसके अलावा कई राज्यों में इस महीने में किसान अपने खेतों में धान की बुवाई के लिए बिचड़ा डालने की भी तैयारी करने लगते हैं. वहीं. इस महीने किसानों को क्या करना चाहिए इस बात का भी ध्यान रखना काफी जरूरी होता है. ऐसे में बिहार कृषि विभाग की ओर से इस महीने किन फसलों में क्या करना है, उसकी जानकारी दी गई है. आइए जानते हैं कि किसान मई महीने में अपने खेतों में क्या करें.
1-बरसीम की अंतिम कटाई: किसानों को मई के महीने में बरसीम की अंतिम सिंचाई करनी चाहिए. वहीं, सिंचाई के लगभग एक सप्ताह के बाद यानी मई के अंत तक बरसीम की अंतिम कटाई कर लेनी चाहिए.
2-हल्दी और अदरक की बुवाई: जिस किसान ने अभी तक हल्दी, अदरक की बुवाई नहीं की वो इस महीने के चौथे सप्ताह में हल्दी और अदरक की खेती कर सकते हैं. बता दें कि मई का महीना इन दोनों फसलों की खेती के लिए बेस्ट होता है. ऐसे में किसान अच्छी किस्मों का चयन करके चौथे सप्ताह यानी एक दो दिन के अंदर हल्दी और अदरक की बुवाई कर दें.
3-प्याज की फसल की करें सिंचाई: मई के महीने में किसान प्याज की फसल में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें, क्योंकि गर्मी बढ़ने से कई बार प्याज के पत्ते और फसल मुरझा या सूख जाते हैं. इसके अलावा किसान प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट का नियंत्रण भी करें. इसके अलावा किसान बरसाती प्याज के लिए बीज स्थली की भी तैयारी करें.
4-बसंत कालीन मक्के की सिंचाई: किसानों को मई के महीने में बढ़ती हुई गर्मी और तापमान को देखते हुए, बसंत कालीन मक्का में सिंचाई करनी चाहिए. ध्यान रखें कि ये सिंचाई दोपहर में ना करें. फसल को सही से पानी मिले इसके लिए किसान मक्के की फसल में सुबह और शाम के समय सिंचाई करें.
5-खरीफ धान के बीज की व्यवस्था: किसान मई के महीने में खरीफ धान के बीज की व्यवस्था करें. साथ ही इस दौरान किसान लंबी अवधि की किस्में जैसे, राजेन्द्र मंसूरी, नाटी मंसूरी (MTU 7029) इत्यादि के बीज उगाने के लिए पौधशाला की तैयारी शुरू करें. बीज उगाने से पहले बीज उपचार अवश्य करें.
6-मूंग को कीट से बचाएं: जायद सीजन में किसान अपने खेतों में गरमा मूंग की खेती करते हैं, जिसमें मई के महीने में भुआ पिल्लू यानी कीट लगने के खतरे बढ़ जाते हैं, जिससे मूंग की फसलों को नुकसान होता है. ऐसे में किसान गरमा मूंग को भुआ पिल्लू का आक्रमण से बचाने के लिए फसल पर डायमेथोएट 30 ई.सी का 1.5 ML प्रति 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.