लीची के इस स्टेज में यह समझदारी दिलाएगी बंपर मुनाफा, विशेषज्ञ ने दी खास सलाह

लीची के इस स्टेज में यह समझदारी दिलाएगी बंपर मुनाफा, विशेषज्ञ ने दी खास सलाह

लीची की खेती में इस अहम अवस्था पर सही निर्णय और विशेषज्ञ की सलाह का पालन करके किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस चरण में खास देखभाल उपज और गुणवत्ता को काफी हद तक बढ़ा सकती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है. इसलिए, किसानों को इस समय खास ध्यान देने की जरूरत है.

लीची के लिए खतरनाक है ये तीन कीटलीची के लिए खतरनाक है ये तीन कीट
क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • May 01, 2025,
  • Updated May 01, 2025, 3:17 PM IST

बिहार की दुनिया में मशहूर ‘शाही’ लीची अब अपने अहम पड़ाव- कलर ब्रेक स्टेज-में प्रवेश कर चुकी है. यही वह नाजुक समय है जब हरे कच्चे फल धीरे-धीरे मनमोहक गुलाबी या लाल रंगत में बदलने लगते हैं, और उनकी मिठास भी बढ़ने लगती है. इस निर्णायक अवस्था में लीची उत्पादकों को विशेष सतर्कता बरतने और वैज्ञानिक तरीकों से प्रबंधन करने की जरूरत है, जिससे फलों की गुणवत्ता, मिठास और बाजार में उनकी कीमत को काफी बढ़ाया जा सके. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा विभागाध्यक्ष, पादप रोग विज्ञान और फल बागवानी विशेषज्ञ प्रोफेसर एस. के. सिंह का कहना है कि कलर ब्रेक स्टेज लीची उत्पादन का वह अहम मोड़ है, जहां थोड़ी सी वैज्ञानिक समझदारी लीची को एक साधारण फल से खास ब्रांड में बदल सकती है.

कलर ब्रेक स्टेज में इन बातों पर अमल करें 

डॉ एस. के. सिंह ने बताया कि लीची कलर ब्रेक स्टेज पर इस समय खास चीजों पर अमल करने की जरूरत होती है. इस समय सप्ताह में 2-3 बार हल्की सिंचाई करें. यदि तापमान 35°C से अधिक हो, तो खेत में नमी बनाए रखना जरूरी है. ध्यान रहे, जलभराव से बचें और यदि संभव हो तो ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें. इस अवस्था में पोटाश और कैल्शियम आधारित उर्वरक फल की त्वचा को मजबूती प्रदान करने और रंग को गहरा करने में सहायक होते हैं. इसके अतिरिक्त, 0.2 फीसदी बोरॉन का फोलियर स्प्रे भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है.

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फल छेदक कीट, एन्थ्रेक्नोज और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे हानिकारक कीटों और रोगों से बचाव के लिए नीम तेल, ट्राइकोडर्मा या अन्य जैविक एजेंटों का प्रयोग करें. यदि संक्रमण अधिक गंभीर हो, तो अंतिम रासायनिक छिड़काव फल तोड़ने से 12 से 15 दिन पहले करें. इसके लिए आप इनमें से किसी एक का उपयोग कर सकते हैं-नोवल्यूरॉन (10% EC) @ 1.5 मि.ली./लीटर  या  इमामेक्टिन बेन्जोएट (5% SG) @ 0.7 ग्राम/लीटर. छिड़काव करते समय स्टिकर या डिटर्जेंट जरूर मिलाएं, और यदि बारिश हो जाए तो छिड़काव को दोहराएं.

  • इन खास बातों पर ध्यान दें

  • पेड़ों पर लगे जरूरत से ज्यादा फलों को हटा दें ताकि बचे हुए फलों को पर्याप्त पोषक तत्व मिल सके और उनकी गुणवत्ता बेहतर हो.
  • पेड़ की अंदर की टहनियों की कटाई करें, जिससे सूर्य का प्रकाश अंदर तक पहुंच सके और हवा का संचार बना रहे, जिससे रोगजनकों के पनपने की संभावना कम हो जाए. 
  • प्राकृतिक उपाय जैसे जीवामृत, गोबर की खाद और मल्चिंग न केवल पौधों के विकास में सहायक होते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और नमी को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.
  • गिरे हुए फलों को नियमित रूप से साफ करें ताकि रोगों और कीटों को फैलने से रोका जा सके.

इस वक्त ये गलतिया ना करें

  • पौधों में नाइट्रोजन की अधिक मात्रा न डालें, अन्यथा पत्तियां घनी हो जाएंगी और फल का रंग व मिठास कम हो जाएगा. 
  • अनियंत्रित सिंचाई या झटकों से फल गिर सकते हैं, इसलिए इनसे बचें. 
  • फल तोड़ने से 15 दिन पहले सभी प्रकार के रासायनिक छिड़काव बंद कर दें. 
  • अपरिपक्व फल तोड़ने की जल्दबाजी न करें. ‘शाही’ लीची की तुड़ाई का सही समय 20 मई के बाद ही करना चाहिए.

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लीची के बाग में इस अवस्था में उचित प्रबंधन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस चरण में अच्छी क्वालिटी के फल के लिए ध्यान केंद्रित करना चाहिए, नियमित निगरानी कर जरूरत के अनुसार उपाय करके उपज को बढ़ाया जा सकता है.

 

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