आमतौर पर रबी के सीजन में मूली की खेती की जाती है. लेकिन, खरीफ सीजन की मूली का अच्छा दाम मिलने की वजह से किसान बरसाती मूली की खेती भी करते हैं. खरीफ सीजन में बरसाती मूली की खेती करने वाले किसान इन दिनों रस चूसक यानी थ्रिप्स कीट, माहू और रोयेंदार सुंडी के हमले से परेशान हैं. ऐसे में सही तरीके से फसल का ध्यान रखना होता है. जबकि, थ्रिप्स कीट समेत अन्य कीटों की रोकथाम के लिए सही दवाओं का इस्तेमाल जरूरी है.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की ओर से एक युवा प्रगतिशील किसान का वीडियो जारी किया गया है, जिसमें युवा किसान ने रस चूसक कीट से बरसाती मूली की फसल को बचाने का तरीका बताया है. युवा किसान ने बताया कि इस बार बरसाती मूली की खेती बेहतर हुई और पौधे का अच्छा जमाव हुआ है. इस बार मौसम भी बरसाती मूली के अनुरूप रहा है, जिससे उत्पादन बढ़ने का अनुमान है. लेकिन, फसल को रस चूसक कीट का खतरा बढ़ गया है.
युवा किसान ने कहा कि मूली का जमाव होने के बाद अंकुरण से बाहर निकलीं पत्तियां पर रस चूसक कीट लग रहा है. ये रस चूसक कीट पौधे के तने और पत्तियों को चूसकर नष्ट कर देता है. इससे मूली की फसल का विकास रुक जाता है और फसल बर्बाद होने के खतरे पर पहुंच जाती है. इससे बचने के लिए ऑक्सीटॉमी 20 पर्सेंट एसपीवी प्रति 15 लीटर पानी में 15 ग्राम मिलाकर फसल में छिड़काव करते हैं. इससे यह कीट खत्म हो जाते हैं.
कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार माहू कीट हरे सफेद छोटे-छोटे होते हैं, जो पत्तियों का रस चूसते हैं. इस कीट के लगने से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. इससे फसल का उत्पादन काफी घट जाता है. इसके प्रकोप से फसल बिकने योग्य नहीं रह जाती है. इसके नियंत्रण के लिए मैलाथियान 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने माहू से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा 4 फीसदी नीम गिरी के घोल में किसी चिपकने वाला पदार्थ जैसे चिपको या सेण्ड़ोविट के साथ छिड़काव भी लाभकारी साबित होता है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय मूली की फसल में रोयेंदार सुंडी कीट का भी प्रकोप बढ़ रहा है. यह कीट ज्यादा संख्या में एक जगह बैठकर पत्तियों को खाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए किसान मैलाथियान 10 फीसदी चूर्ण 20 से 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय छिड़काव कर सकते हैं. इससे रोयेंदार सुंडी से फसल को बचाने में मदद मिलेगी.