दिल्ली स्थित आईसीएआर, पूसा ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में लगातार बदलते मौसम को देखते हुए किन फसलों में क्या करें ये बताया गया है. इसमें कहा गया है कि इस मौसम में बेल वाली फसलों और सब्जियों में न्यूनतम नमी बनाए रखें नहीं तो मिट्टी में कम नमी होने से फसलों के ग्रोथ पर असर हो सकता है, जिससे फसल उत्पादन में कमी आ सकती है. साथ ही एडवाइजरी में बताया गया है कि इस मौसम में सब्जियों की फसल में कम अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहें.
एडवाइजरी के मुताबिक, ग्रीष्मकाल यानी जायद वाली हरी खाद के लिए किसान अभी सनई और ढैंचा की बुवाई कर सकते हैं. खेती के लिए सनई की बीज दर 60-70 और ढैंचा की 50-60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें. किसान ध्यान रखें कि फसलों की अच्छे अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी बहुत जरूरी है.
इसके अलावा इस हफ्ते किसान ग्वार, मक्का, बाजरा आदि चारा फसलों की बुवाई कर सकते हैं. लेकिन किसान इन फसलों की खेती करते समय ये ध्यान दें कि बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है. इसके साथ ही बीजों को 3-4 सेमी गहराई में बोएं और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेमी तक रखें.
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साथ ही किसान एडवाइजरी के मुताबिक ये समय अरहर और कपास की बुवाई के लिए बेस्ट है. इसलिए किसान खेतों को तैयार करें और बीज किसी प्रमाणित जगह से ही खरीदें. मौसम को देखते हुए, किसान तैयार सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम को करें और इसके बाद इसे छायादार जगह पर रखें.
भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद युरिया 5-10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से डालें. इसके अलावा माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. अधिक कीट पाए जाने पर साफ मौसम में ईथियांन @1.5-2 मि.ली. लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. इस मौसम में भिंडी की फसल में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें. वहीं, बैंगन और टमाटर की फसल को प्ररोह और फल छेदक कीट से बचाव के लिए ग्रसित फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें. यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1.0 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.