पंजाब में 'पानी बचाओ, पैसे कमाओ' स्कीम शुरू की गई है. स्कीम का मकसद है भूजल को बचाना ताकि पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की कमी न हो सके. लुधियाना जिले के ग्रामीण इलाकों में 2400 किसान इस स्कीम से जुड़ चुके हैं. दरअसल, पानी बचाने की यह मुहीम पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड (PSPCL) ने शुरू की है जो 5 साल से चल रही है. बिजली निगम की ओर से जारी एक डेटा के मुताबिक, पिछले साल किसानों को 15.4 लाख रुपये दिए गए. यह पैसा उन किसानों को दिया गया जिन्होंने 3.85 लाख यूनिट की बिजली बचाई है.
साल 2019 में यह स्कीम शुरू की गई जिसमें किसानों को बिजली के साथ-साथ पानी बचाने के लिए इंसेंटिव दिया जाता है. इसका पूरा मकसद भूजल को बचाना है ताकि पेयजल और सिंचाई जैसे काम के लिए पानी बचता रहे. फिलहाल यह योजना लुधियाना के चार डिवीजनों - दोराहा, खन्ना, रायकोट और समराला में चालू है जिसमें 16 कृषि फीडर शामिल हैं, जिनमें लोहारमजरा, जल्लोवाल, दुलवान, बरवाली लेही, जुलमगढ़ और मनुपुर आते हैं.
PSPCL के एक अधिकारी ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' से कहा, खेती के लिए हमारे यहां अलग फीडर है जिसकी हम मॉनिटरिंग करते रहते हैं. पहले बिजली बहुत अधिक बर्बाद होती थी क्योंकि किसान मोटर चलाकर छोड़ देते थे. बिजली के साथ पानी की बर्बादी भी बड़े पैमाने पर होती थी. 'पानी बचाओ,पैसे कमाओ' स्कीम इसे ही ध्यान में रखते हुए शुरू की गई ताकि किसान पानी और बिजली बचा सकें. जो किसान इस स्कीम से जुड़ते हैं, उन्हें दिन में दो घंटे अतिरिक्त बिजली दी जाती है.
2019 में यह स्कीम लॉन्च होने से पहले 2018 में पंजाब सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था. इसका उद्देश्य भूजल को बचाना था. पंजाब में धान की खेती बड़े स्तर पर होती है जिसमें भूजल का इस्तेमाल बहुत अधिक होता है. इसे बचाने के लिए स्कीम में बिजली के खर्च पर इंसेंटिव देने का काम शुरू किया गया. किसान जितनी समझदारी के साथ बिजली और पानी का इस्तेमाल करेंगे, उसी के मुताबिक उन्हें पंजाब बिजली निगम की ओर से इंसेंटिव दिया जाता है. यह स्कीम लुधियाना में सफल रही है.
इस स्कीम में किसान की जमीन के साइज और फसल के प्रकार के मुताबिक फिक्स्ड बिजली कोटा निर्धारित कर दिया जाता है. अगर किसान इस कोटे से कम खर्च करते हैं तो उन्हें इंसेंटिव दिया जाता है. इसमें 4 रुपये प्रति किलोवॉट घंटा के हिसाब से किसानों को पैसा दिया जाता है. यानी जितना यूनिट बिजली बचेगा, उतना पैसा मिलेगा और उसकी राशि किसान के बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर कर दी जाएगी. किसान अगर कोटे से अधिक बिजली खपत करते हैं तो उन्हें पैसा चुकाना होगा.
इस स्कीम से जुड़े जार्ग गांव के एक किसान बलदेव सिंह ने बताया कि कैसे इस योजना ने उन्हें लागत कम करने में मदद की. वे कहते हैं, "पहले तो मुझे संदेह हुआ, लेकिन फिर मैंने इसे आजमाने का फैसला किया. मुझे सिंचाई को सही ढंग से शेड्यूल करने के बारे में बताया गया और जल्द ही मैं कम बिजली का उपयोग करने लगा. मुझे आश्चर्य हुआ कि मुझे सीधे मेरे खाते में इंसेंटिव मिलना शुरू हो गया. पिछले सीज़न में मैंने लगभग 1,200 यूनिट बिजली बचाई और इनाम के रूप में लगभग 4,800 रुपये कमाए. इस अतिरिक्त आय ने मुझे खेती के खर्चों को पूरा करने में मदद की है."