जून का महीना किसानों के लिए खरीफ सीजन की बुआई का बिगुल बजा चुका है. धान की नर्सरी के साथ-साथ अब खरीफ प्याज की नर्सरी डालने का एकदम सही समय है. वहीं, गन्ने की फसल में इस मौसम में होने वाले गलित सिखा रोग से भी सतर्क रहने की ज़रूरत है. इन दोनों ही पहलुओं पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिकों ने किसानों को व्यावहारिक और वैज्ञानिक सलाह दी है.
वैज्ञानिकों के अनुसार किसान प्याज की नर्सरी के लिए क्यारियां एक मीटर चौड़ी और उथली बनाएं. जल निकासी का पूरा ध्यान रखें ताकि पानी ठहरे नहीं. बीजों की मात्रा और किस्म इस तरह से हो सकती है.
बीजों का उपचार करना अनिवार्य बताया गया है, ताकि अंकुरण अच्छा हो और पौध मजबूत बने.
इसी मौसम में गन्ने की फसल पर गलित सिखा रोग (Top Shoot Borer) का प्रकोप बढ़ सकता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस रोग से फसल की उपज 2 से 22.5 प्रतिशत तक और गंभीर स्थिति में 80 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा चीनी की मात्रा में 11.8 से 65 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है, जिससे किसानों और चीनी मिलों को भारी नुकसान होता है. बिहार के वातावरण में इस रोग के लिए 24-28 डिग्री सेल्सियस तापमान और 75-85 प्रतिशत नमी उपयुक्त मानी जाती है. इस रोग में शीर्ष पत्तियां मरोड़ खा जाती हैं. पत्तियां टूटकर नीचे की ओर झुकती हैं. पौधे की वृद्धि रुक जाती है. इससे बचाव का तरीका इस तरह से है. 0.1% फफूंदनाशी दवा को 1 लीटर पानी में मिलाकर 15-15 दिन के अंतराल पर तीन बार छिड़काव करें. यह उपाय फसल को इस खतरनाक रोग से बचाने में बेहद कारगर सिद्ध हुआ है.
विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की है कि दुधारू पशुओं को गलघोंटू, लंगड़ी और खुरहा जैसी बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराएं. यह पशुधन की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी कदम है. जून के महीने में यदि किसान प्याज की नर्सरी डालने और गन्ने में रोग रोकथाम जैसे जरूरी कार्यों पर ध्यान दें, तो खरीफ सीजन में उत्पादन के साथ आमदनी भी कई गुना बढ़ाई जा सकती है.