अब वो दिन नहीं रहे जब अदरक को हल्के में लिया जाता था. अब अदरक भी अपने तेवर दिखा रहा है. दाम 4000 रुपये से लेकर 8000 रुपये क्विंटल तक जा रहा है. तभी तो किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. कोरोना के समय अदरक की मांग ने किसानों को चौंका दिया. तभी से इसके रेट में लगातार उछाल देखे जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप किसान हैं तो आपको जरूर जानना चाहिए कि अदरक की पैदावार को कैसे बढ़ाएं क्योंकि पैदावार बढ़ेगी तभी कमाई भी बढ़ेगी. अदरक की पैदावार बढ़ाने में सबसे बड़ा रोल नाइट्रोजन खाद का होता है. लेकिन इस खाद को कब दें और उसकी डोज क्या हो, इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए. आइए इसी के बारे में जान लेते हैं.
अदरक की फसल में नाइट्रोजन की दो डोज को महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी दो डोज पर फसल की क्वालिटी और उपज निर्भर करती है. जो किसान अदरक की खेती कर रहे हैं, वे नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में बांट लें. इसका पहला हिस्सा बिजाई के 75 दिन बाद और बाकी हिस्सा बिजाई के 3 महीने बाद डालना चाहिए. आप अदरक की बढ़वार के लिए रोपाई के 4-6 सप्ताह बाद यूरिया जैसे नाइट्रोजन वाले उर्वरक का भी प्रयोग कर सकते हैं.
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इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान, कोझिकोड ने बताया कि अदरक के लिए प्रति हेक्टेयर 75 किलो नाइट्रोजन की मात्रा देने की सलाह दी जाती है. खेत को तैयार करते समय प्रति एकड़ 25 किलो नाइट्रोजन (जिसके लिए 55 किलो यूरिया दे सकते हैं) की मात्रा दे सकते हैं. आप नाइट्रोजन खाद के अलावा जैविक खाद जैसे कि कंपोस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. अदरक की बेहतर उपज और क्वालिटी के लिए खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ 2-3 टन गोबर की खाद भी मिट्टी में मिला देनी चाहिए. अगर आपको लगता है कि अदरक के खेत में जिंक की कमी है तो इसकी 6 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर डालने से उपज अच्छी मिलती है. जिंक की कमी पूरी करने के लिए खेत में 30 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर दे सकते हैं.
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किसानों को सलाह दी जाती है कि जब अधिक बारिश हो रही हो तो अदरक के खेत में यूरिया खाद या नाइट्रोजन खाद का इस्तेमाल न करें. इससे खाद का नुकसान होता है जबकि फसल को कोई फायदा नहीं मिलता. किसान को फिर से यूरिया खाद देने की जरूरत पड़ जाती है. अदरक के खेत में मल्चिंग से बहुत फायदा मिलता है. इसके लिए किसान खेत में हरी पत्तियां बिछा सकते हैं जिससे नमी के नुकसान के साथ ही मिट्टी के क्षरण से निजात मिलती है. अदरक का कंद लगाते वक्त मल्चिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है. बुवाई के 40 और 90 दिन बाद फिर से मल्चिंग का उपयोग कर सकते हैं.