
Rabi Season Maize Farming Tips: शीतकालीन मक्का यानी रबी मक्का किसानों के लिए एक लाभदायक फसल मानी जाती है. सही जमीन (मिट्टी), समय पर बुवाई और संतुलित उर्वरक प्रबंधन से इसकी पैदावार कई गुना बढ़ाई जा सकती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, रबी मक्का की खेती करते समय कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इसके लिए आईसीएआर से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों ने कई अहम सुझाव दिए हैं, ताकि किसान आसानी से रबी मक्का की अच्छी फसल ले सकें.
रबी मक्का के लिए दोमट मृदा सबसे उपयुक्त मानी जाती है. खेत की तैयारी के लिए 1-2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी बन जाए. अगर खेत में नमी की कमी हो तो हल्की सिंचाई (पलेवा) करके फिर खेत तैयार करें.
अगर मिट्टी का परीक्षण न हुआ हो, तो संकर मक्का के लिए प्रति हेक्टेयर 150 किग्रा नाइट्रोजन, 75 किग्रा फॉस्फोरस, 60 किग्रा पोटाश और 40 किग्रा सल्फर की आवश्यकता होती है, जबकि संकुल मक्का के लिए 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस, 40 किग्रा पोटाश और 30 किग्रा सल्फर पर्याप्त रहते हैं.
जिन क्षेत्रों की मिट्टी में जिंक की कमी हो, वहां बुवाई से पहले 25 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर खेत में मिलाना चाहिए. पौधों की घुटने तक ऊंचाई होने पर या बुवाई के 30-35 दिन बाद यूरिया की टॉप ड्रेसिंग अवश्य करें.
रबी मक्का की बुवाई के लिए उन्नत हाइब्रिड प्रजातियों जैसे एच.क्यू.पी.एम.-1, स्वीट कॉर्न के लिए प्रिया स्वीटकॉर्न व माधुरी स्वीटकॉर्न और चारे के लिए अफ्रीकन टॉल और जे-1006 किस्में उपयुक्त हैं. ठंड और पाले को सहन करने वाली प्रमुख किस्मों में जीके 3150 हाइब्रिड और शालीमार मक्का हाइब्रिड-4 शामिल हैं.
रबी मक्का की बुवाई का उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक माना जाता है. प्रति हेक्टेयर 20 से 22 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, जिससे लगभग 85 से 90 हजार पौधे तैयार होते हैं. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बीज को बोने से पहले कार्बेंडाजिम (2 ग्राम/किग्रा बीज) या थीरम (2.5 ग्राम/किग्रा बीज) से शोधन करना आवश्यक है, ताकि बीजजनित रोगों से बचाव हो सके.
मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए 3-4 बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. पहली निराई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें. ध्यान रखें कि निराई की गहराई 4-5 सेंटीमीटर से अधिक न हो, ताकि पौधों की जड़ों को नुकसान न पहुंचे. अधिक नमी वाले खेतों में खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए समय पर नियंत्रण आवश्यक है. आवश्यकता पड़ने पर उचित खरपतवारनाशी दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है. इन वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर किसान रबी मक्का की उपज को न केवल सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी भी कर सकते हैं.