साइक्लोन ‘मोंथा’ के असर से आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश और जलभराव की स्थिति बन गई है. इसी को देखते हुए आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय (ANGRAU) की कुलपति डॉ. आर. सरदा जयलक्ष्मी देवी ने राज्यभर के किसानों को सतर्क रहने और फसल से जुड़ी सावधानियां अपनाने की सलाह दी है.
फसल से जुड़ी एक एडवाइजरी में कहा गया है कि समय पर पानी की निकासी (drainage), फंगल रोगों की रोकथाम और पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग किसानों को भारी नुकसान से बचा सकता है. आंध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा ने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है और कई फसलें चौपट हो गई हैं. किसानों को बहुत बड़ी क्षति हुई है जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राहत जारी करने के निर्देश दिए हैं. आइए जान लेते हैं कि किन फसलों के लिए क्या एडवाइजरी दी गई है.
धान (Paddy):
- फसलें फूलने से लेकर कटाई के चरण में हैं.
- खेतों से पानी तुरंत निकालें.
- प्रोपिकोनाजोल (200 ml/एकड़) या हेक्साकोनाजोल (400 ml/एकड़) का छिड़काव करें ताकि दाने का रंग बिगड़ने और फंगल संक्रमण से बचाव हो सके.
- BPT-5204 और PLA-1100 जैसी किस्मों में अंकुरण दिखे तो 5 परसेंट नमक घोल का प्रयोग करें.
- पोटाश खाद डालें ताकि पौधों के तने मजबूत रहें.
मक्का (Maize):
- खेतों से पानी निकालें ताकि फसल गिरे नहीं (lodging न हो).
- आंशिक रूप से खराब भुट्टों को सुखाकर नमी 12–13 परसेंट तक करें.
- पानी निकलने के बाद 1 परसेंट यूरिया + 0.5 परसेंट जिंक सल्फेट का छिड़काव करें.
- रोग नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल (1 ml/ली.) या मेंकोजेब (2.5 g/ली.) का उपयोग करें.
दालें (मूंग, उड़द, अरहर):
- खेत में लगा पानी तुरंत बाहर निकालें.
- एक सप्ताह बाद 1% NPK या पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें.
- जड़ सड़न या लीफ स्पॉट के लिए हेक्साकोनाजोल (2 ml/ली.) या प्रोपिकोनाजोल (1 ml/ली.) का उपयोग करें.
- फली छेदक कीटों (pod borers) के नियंत्रण के लिए क्लोरोपाइरीफॉस (2.5 ml/ली.), नोवल्यूरॉन (1 ml/ली.), या स्पिनोसैड (0.3 ml/ली.) का स्प्रे करें.
मूंगफली (Groundnut):
- बारिश के दौरान फसल न उखाड़ें.
- कटाई की गई फलियों को ढेर में न रखें, वे अंकुरित हो सकती हैं.
- बारिश के बाद मेंकोजेब (2.5 g/ली.) + कार्बेंडाजिम (12%) या हेक्साकोनाजोल (2 ml/ली.) का छिड़काव करें.
- लीफ ईटिंग कैटरपिलर के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट (0.4 g/ली.) का प्रयोग करें.
कपास (Cotton):
- खेतों से पानी तुरंत निकालें.
- फसल की बढ़वार के लिए 2% यूरिया या 2% पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव 5–7 दिन के अंतराल पर करें.
- लीफ स्पॉट और बॉल रॉट के लिए मेंकोजेब (3 g/ली.) या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड (3 g/ली.) का प्रयोग करें.
- फूल और बॉल गिरने से बचाने के लिए प्लैनोफिक्स (0.25 ml/ली.) का छिड़काव करें.
गन्ना (Sugarcane):
- खेत के निचले इलाकों से तुरंत पानी निकालें.
- फसल में वृद्धि रुक जाए तो प्रति एकड़ 25 किलो यूरिया + 25 किलो पोटाश दें.
- सकिंग (रस चूसने वाले) कीटों के लिए डायमेथोएट (1.7 ml/ली.) का छिड़काव करें.
डॉ. जयलक्ष्मी देवी ने किसानों से अपील की कि वे फसलों में पानी भराव रोकें, समय पर दवाओं का प्रयोग करें और संयुक्त पोषण प्रबंधन (Integrated Nutrient Management) अपनाकर नुकसान को कम से कम करें.