धान फसल में बौनेपन से निपटने के लिए किसान उठाएं ये कारगर कदम, पढ़ें एक्सपर्ट टिप्स

धान फसल में बौनेपन से निपटने के लिए किसान उठाएं ये कारगर कदम, पढ़ें एक्सपर्ट टिप्स

आपको बता दें कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 के दौरान धान की फसल में पहली बार एक रहस्यमय बीमारी की सूचना दी थी, जिसके कारण हरियाणा राज्य में धान उगाने वाले क्षेत्रों में पौधे बौने रह गए थे.

धान के फसल में बौनापनधान के फसल में बौनापन
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 19, 2024,
  • Updated Jun 19, 2024, 5:55 PM IST

वर्तमान में चावल की नर्सरी में स्पाइनारियोविरिडे समूह के वायरस हरियाणा में कई स्थानों पर देखे गए हैं. इस वायरस से प्रभावित पौधे बौने और ज्यादा हरे दिखाई देते हैं चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि अभी संक्रमण छोटे स्तर पर है. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर संक्रमण की रोकथाम के लिए कारगर कदम उठाएं ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके.

काम्बोज ने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों के प्रयोगशाला विश्लेषण से इस वायरस की मौजूदगी का पता चला है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम धान की फसल की नियमित निगरानी कर रही है और संदिग्ध नमूनों का प्रयोगशाला में परीक्षण किया जा रहा है.

किसानों के लिए सलाह

वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार मलिक ने बताया कि अगेती नर्सरी बुआई पर सावधानीपूर्वक नजर रखनी चाहिए और प्रभावित चावल के पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए या खेतों से दूर मिट्टी में दबा देना चाहिए. असमान विकास पैटर्न दिखाने वाली नर्सरी का पौध रोपण के लिए उपयोग करने से बचें. हॉपर्स से नर्सरी की सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है. इसके लिए कीटनाशकों डिनोटफ्यूरान 20 एसजी 80 ग्राम या पाइमेट्रोजिन 50 डब्ल्यूजी  120 ग्राम प्रति एकड़ (10 ग्राम या 15 ग्राम प्रति कनाल नर्सरी क्षेत्र) का प्रयोग करें. सीधी बुवाई वाले चावल की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

2022 में पौधे रह गए थे बौने 

आपको बता दें कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022 के दौरान धान की फसल में पहली बार एक रहस्यमय बीमारी की सूचना दी थी, जिसके कारण हरियाणा राज्य में धान उगाने वाले क्षेत्रों में पौधे बौने रह गए थे. जिससे सभी प्रकार की चावल किस्में प्रभावित हुई थीं. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करके डॉ. शिखा यशवीर, डॉ. दलीप, डॉ. महावीर सिंह, डॉ. सुमित सैनी, डॉ. विशाल गांधी और डॉ. मंजुनाथ की टीम ने बौनेपन की समस्या से ग्रस्त पौधों के सैम्पल एकत्रित किए थे.

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