सर्दियों में मक्का की बुवाई करने की तैयारियों में जुटे किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने बंपर पैदावार हासिल करने के लिए टिप्स दिए हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार शीतकालीन मक्का की बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक हो जानी चाहिए. इसलिए किसानों के पास अभी भी करीब 10 दिन का समय है. एक्सपर्ट ने मक्का की बुवाई से लेकर कटाई और कीट प्रबंधन को लेकर भी किसानों को सलाह दी है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मक्का भारत की मुख्य फसलों में से एक है. इसका उपयोग मानव आहार, पशुओं को खिलाने वाले दाने एवं भूसे के रूप में होता है. देश में साधारण रूप से रबी मौसम में मक्का की फसल से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. इस सीजन में मक्का की बुवाई के लिए खेत की मिट्टी का अच्छी तरह से तैयार होने जरूरी है.
दोमट मिट्टी रबी मक्का के लिये उपयुक्त होती है. आमतौर पर 1-2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें. यदि नमी की कमी हो, तो पलेवा करके खेत की तैयारी कर लें. रबी मक्का की बुआई के लिए उन्नत किस्मों जैसे संकर मक्का-एचक्यूपीएम-1, सीडटेक-2324, केएच-5991, अम्बर-पॉपकॉर्न, वीएल अम्बर पॉपकॉर्न, हरे भुट्टे के लिए मीठी मक्का (स्वीटकॉर्न) प्रिया स्वीटकॉर्न, माधुरी स्वीटकॉर्न व चारा के लिए मक्का अफ्रीकन टॉल, जे-1006 किस्मों की बुवाई किसान कर सकते हैं. वहीं, अधिक ठंड वाले इलाकों में मक्का की बुवाई के लिए जीके 3150 हाइब्रिड और शालीमार मक्का हाइब्रिड 4 का बीज भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
रबी सीजन में मक्का की बुवाई के लिए 20-22 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें. इससे लगभग 85-90 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर हासिल हो सकते हैं. बुआई के पूर्व बीज शोधन जरूरी है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंमी. और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंमी. ही रखें. बीजजनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को कार्वेण्डाजिम 50 प्रतिशत की 2 ग्राम अथवा थीरम 2.5 ग्राम मात्रा में प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुवाई करनी चाहिए.
खेत की मिट्टी की जांच नहीं होने पर बुआई के समय आमतौर पर संकर मक्का के लिए 150 किग्रा. नाइट्रोजन, 75 किग्रा. फॉस्फोरस, 60 किग्रा. पोटाश और 40 किग्रा. सल्फर का इस्तेमाल करें. जबकि, संकुल मक्का के लिए 120 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फॉस्फोरस, 40 किग्रा. पोटाश और सल्फर 30 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. अगर मिट्टी में जिंक की कमी हो तो बुआई से पहले 25 किग्रा. जिंक सल्फेट जरूर मिलानी चाहिए.
मक्का की बुवाई के बाद पहली निराई-गुड़ाई का सही समय 20-25 दिन होता है. इससे खेत में खरपतवार नहीं रहेंगे. ज्यादा देरी करने की स्थिति में खरपतवार पोषक तत्व खा जाएंगे और पौधे को पनपने नहीं देंगे. इसी तरह बुआई के 25-30 दिनों बाद पहली सिंचाई कर दें. पौधे के लगभग घुटने तक की ऊंचाई के होने या बुआई के लगभग 30-35 दिनों बाद प्रति हेक्टेयर 87 किग्रा. यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर दें.
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए 3-4 बार निराई-गुड़ाई की जरूरत होती है. खड़ी फसल में अधिक नमी के चलते खरपतवार का प्रकोप अधिक होता है. निराई-गुड़ाई की गहराई 4-5 सेंमी. से अधिक नहीं होनी चाहिए अन्यथा पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है. खरपतवार के उगने के समय ही उखाड़ देना सबसे अच्छा उपचार माना जाता है. मक्का की फसल के लिये खरपतवारनाशी दवा का उपयोग भी किया जा सकता है.