क्या ह्यूमिक एसिड के साथ ट्राइकोडर्मा मिला कर बागवानी के पोधों में दे सकते हैं, पढ़ें जवाब

क्या ह्यूमिक एसिड के साथ ट्राइकोडर्मा मिला कर बागवानी के पोधों में दे सकते हैं, पढ़ें जवाब

ह्यूमिक एसिड कृषि के लिए ज़रूरी घटक है, इसके कई तरह के लाभ होते हैं, जो मिट्टी के स्वास्थ्य, पौधों की वृद्धि और समग्र फसल उत्पादकता में मदद करता है. जानिए क्या है इसके फायदे.

Benefits of Humic Acid for TrichodermaBenefits of Humic Acid for Trichoderma
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 30, 2023,
  • Updated Dec 30, 2023, 3:53 PM IST

पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया और ह्यूमिक पदार्थ कीटनाशकों और खनिज उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए आशाजनक विकल्प हैं. हानिकारक रसायन युक्त उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होने लगती है; जिसका सीधा असर फसलों की पैदावार पर होता है. मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं है. मिट्टी की संरचना में सुधार करने और उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए ह्यूमिक एसिड कैसी वरदान से कम नहीं है. बाज़ार में मिलने वाला ह्यूमिक एसिड असल में पोटेशियम ह्यूमेट होता है, जिसे ह्यूमिक एसिड पर कास्टिक पोटाश की क्रिया के द्वारा तैयार किया जाता है. पोटेशियम ह्यूमेट से फसलों पर किसी तरह का प्रतिकूल असर नहीं होता है. ह्यूमिक एसिड कृषि में एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है जो मिट्टी के स्वास्थ्य, पौधों की वृद्धि और समग्र फसल उत्पादकता में योगदान देता है. ह्यूमिक एसिड एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला कार्बनिक पदार्थ है जो पौधे और पशु पदार्थों के क्षय से प्राप्त होता है.

ह्युमिक एसिड जैविक पदार्थ जैसे, लिग्निएट, पीट और मृदा समूह पदार्थो का सदस्य है. यह पौधों में और मिट्टी को पोषण और संरचना सुधारने में सहायक की भूमिका निभाता है. ह्यूमिक एसिड का प्रयोग जैविक खेती में भी किया जा सकता है. ह्यूमिक एसिड से होने वाले लाभ के बारे में अभी तक बहुत कम किसानों को पता है, जबकि पौधों के वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था में इसके प्रयोग से अप्रत्याशित लाभ मिलता है.

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ह्यूमिक एसिड के प्रयोग से क्या होता है? 

ह्यूमिक एसिड मिट्टी कंडीशनर के रूप में काम करता है, मिट्टी की संरचना को बढ़ाता है और जल धारण को बढ़ावा देता है. मिट्टी के कणों के साथ कॉम्प्लेक्स बनाने की इसकी क्षमता मिट्टी के वातन और जल निकासी में सुधार करता है.

ट्राइकोडर्मा का उपयोग करने के लाभ

रोगों का प्रभावी एवं रसायन रहित तरीके से जैविक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा की प्रजातियों का उपयोग विभिन्न मृदा जनित रोग जनक कवकों जैसे फ्यूजेरियम, फाइटोप्थोरा, स्केलेरोशियम के विरुद्ध किया जा सकता है. ठंडे मौसम अथवा कम तापमान पर ट्राइकोडर्मा का पर्णीय छिडक़ाव करने से पर्ण रोगों जैसे झुलसा, चूर्णी फफूंदी, मृदुरोमिल आसिता आदि भी नियंत्रित हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि ट्राइकोडर्मा की प्रजातियाँ मिट्टी और पौधे की जड़ क्षेत्र में मौजूद पौध-परजीवी सूत्रकृमियों के प्रति हानिकारक गतिविधि का प्रदर्शन करती हैं और इस प्रकार पौधों को इन हानिकारक जीवों से सुरक्षा प्रदान करती हैं.

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