नारियल पानी और छाछ यानी बटर मिल्क को गर्मियों में एक रामबाण इलाज माना जाता है. लेकिन अगर हम आपको यह बताएं कि यह न सिर्फ आपके शरीर के लिए बल्कि फूलों की सेहत के लिए भी कारगर हैं. जी हां, ऑर्गेनिक यानी जैविक खेती में छाछ और नारियल पानी को पौधों के लिए वरदान माना जाता है. इन दोनों को मिलाकर अगर आप अपने गार्डन में लगे गुलाब के पौधे पर छिड़केंगे तो उनमें लगे कीड़ों को कुछ ही मिनटों में खत्म किया जा सकता है. ये दोनों उस कीटनाशक का निर्माण करते हैं जो पौधों को हरा-भरा रखता है और उन्हें हर नुकसान से बचाता है.
5 लीटर छाछ में, 1 लीटर नारियल पानी, 1 लीटर फलों का रस, 100 ग्राम हल्दी और 20 ग्राम हींग मिलाकर जो कीटनाशक तैयार होता है, उसे ऑर्गेनिक खेती में पंचगव्य कहा जाता है. जो घोल तैयार होता है, उसका एक लीटर पहले 10 लीटर पानी में मिलाकर एकसाथ घोल बना लें. इस घोल को पौधों पर लगने वाले फंगल रोग और कीड़ों से उसकी सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है. यह पौधों की वृद्धि को बढ़ाने, कीड़ों को दूर रखने और फंगल रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. साथ ही यह पौधों में फूल आने को भी बढ़ाता है.
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इस घोल में किसी भी अन्य रसायन की तरह ही विकास बढ़ाने की क्षमता है. पूरी तरह से तैयार होने पर, नारियल, छाछ, हल्दी, हींग और फलों के अवशेषों से युक्त यह नुस्खा आपके पौधों को फंगल रोगों के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करने में मदद कर सकता है. पौधे स्वस्थ हो जाते हैं और सही मात्रा में फूल खिलने लगते हैं. कृषि वैज्ञानिक इसे सॉइल रेसिपीज के तहत रखते हैं. अगर किसान समय-समय पर पंचगव्य का छिड़काव फसलों पर करेंगे तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिलेगा.
पंचगव्य बनाने के लिए एक मिट्टी का मटके के अलावा कंक्रीट का टैंक या फिर प्लास्टिक का ड्रम लिया जा सकता है. किसानों को यह ध्यान रखना है कि पंचगव्य बनाने के लिए धातु के बर्तन का प्रयोग हरगिज न करें. 18 दिन के लिए इस मिश्रण को किसी अंधेरी जगह पर रख कर जालीदार सूती कपड़े से ढक दें. उसके बाद पंचगव्य बनकर तैयार हो जाएगा. इसको 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है.