गेहूं की फसल में सिंचाई के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह, दीमक से कैसे होगा बचाव

गेहूं की फसल में सिंचाई के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह, दीमक से कैसे होगा बचाव

इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इस मौसम में आलू तथा टमाटर में झूलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

Agricultural scientists gave advice for farmersAgricultural scientists gave advice for farmers
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 23, 2023,
  • Updated Dec 23, 2023, 1:37 PM IST

पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि देर से बोयी गई गेहूँ की फसल यदि 21-25 दिन की हो गयी तो पहली सिंचाई आवश्कयतानुसार करें तथा 3-4 दिन के बाद नाइट्रोजन की शेष मात्रा का छिड़काव करें. गेहूँ की फसल में यदि दीमक का प्रकोप दिखाई दे, तो बचाव हेतु किसान क्लोरपायरीफाँस 20 ई.सी. @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 कि.ग्रा. बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दे, और सिंचाई करें. देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. मौसम को मद्देनजर रखते हुए सरसों की फसल में सफ़ेद रतुआ रोग एवं चेपा कीट की नियमित रूप से निगरानी करें. 

चने की फसल में फली छेदक कीट के निगरानी हेतु फीरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 10-15 प्रतिशत फूल खिल गये हों. गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन ट्रैप @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड खेतों में लगाएं. इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं.

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यूरिया का छिड़काव करें किसान

इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. इस मौसम में आलू तथा टमाटर में झूलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें.

प्याज की फसल में थ्रिप्स की निगरानी

इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें. प्याज में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें. रोग के लक्षण पाये जाने पर डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्रा. /ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें.
मटर की फसल पर 2% यूरिया के घोल का छिड़काव करें. जिससे मटर की फल्लियों की संख्या में बढोतरी होती है. कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल के पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पॉलीथिन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें.

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