पूसा इंस्टीट्यूट ने खरीफ और सब्जी फसलों को लेकर किसानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. साप्ताहिक मौसम पर आधारित यह एडवाइजरी 10 सितंबर तक के लिए है. इसमें खासतौर पर धान की फसल पर फोकस किया गया है, जो खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. धान की फसल में इस वक्त कई तरह से रोग लगते हैं उसका मैनेजमेंट करने के लिए किसानों को सलाह दी गई है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगले पांच दिन के मौसम को देखते हुए सभी खड़ी फसलों तथा सब्जियों में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें. इसी के साथ खरपतवारों को कंट्रोल करने के लिए निराई-गुड़ाई का काम भी करें.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा की ओर से यह एडवाइजरी नौ कृषि वैज्ञानिकों का बोर्ड जारी करता है. जिसमें कृषि भौतिकी, सब्जी विज्ञान, एग्रोनॉमी, प्लांट रोग, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना और सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी असेसमेंट एंड ट्रांसफर (केटेट) के कृषि वैज्ञानिक शामिल होते हैं. जानिए बोर्ड ने किसानों के लिए कौन-कौन से टिप्स दिए हैं. वैज्ञानिकों ने सात प्रमुख बातें बताई हैं.
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इन बातों का ध्यान रखें किसान
- धान की फसल इस समय मुख्य तौर पर बाली बनने वाली स्थिति में है. इसलिए फसल में कीटों की निगरानी करें. तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. प्रति एकड़ 3-4 ट्रैप का इस्तेमाल करें. यदि तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो कारटाप 4% दानें 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव करें.
- इस समय धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है. इसलिण् किसान भाई खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. यदि प्रकोप अधिक दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
- टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी में फल छेदक, शीर्ष छेदक लगता है. फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड़ बेक मोथ की निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. प्रति एकड़ 3-4 ट्रैप का इस्तेमाल हो तो अच्छा है. प्रकोप अधिक दिखाई दे तो स्पेनोसेड़ 1.0 मिली प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
- किसान इस समय अगेती मटर की बुवाई के लिए बीज की व्यवस्था करें. इसकी उन्नत किस्में- पूसा प्रगति, पंत मटर-3 और आर्किल हैं. इसके लिए पहले ही खेतों को तैयार करें.
- इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं. इसकी उन्नत किस्म पूसा रूधिरा है. बीज दर 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ डालें. बुवाई से पहले बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें. अंकुरण के लिए मिट्टी में उचित नमी का होना आवश्यक है.
- किसानों को सलाह है कि इस समय सरसों साग के लिए बुवाई करें. पूसा साग-1, मूली-समर लोंग, समर लोंग चेतकी, पूसा चेतकी, पालक-आल ग्रीन, पूसा ज्योति तथा धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई करें. इनकी बुवाई उथली क्यारियों पर करें. अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में उचित नमी का होना आवश्यक है.
- भिंडी, मिर्च तथा बैंगन की फसल में माईट, जैसिड और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें. इस समय कीटों की रोकथाम के लिए लाइट ट्रैप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बरतन में पानी और थोड़ा कीटनाशी मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें. लाइट से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जाएंगे.
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