Paddy Disease: धान की फसल पर फिजी वायरस का अटैक, सतर्क हो जाएं किसान; ऐसे करें बचाव

Paddy Disease: धान की फसल पर फिजी वायरस का अटैक, सतर्क हो जाएं किसान; ऐसे करें बचाव

धान की फसल पर फिजी वायरस का हमला किसानों के लिए चिंता का विषय है. इस वायरस से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, रुक-रुक कर पौधे बढ़ते हैं और पैदावार में भारी कमी आती है. इसलिए किसान खेत की नियमित निगरानी करते रहें, सतर्कता और सही उपायों से धान की फसल को बचाया जा सकता है.

क‍िसान तक
  • नई दिल्ली,
  • Jul 14, 2025,
  • Updated Jul 14, 2025, 2:17 PM IST

धान की फसल में एक बार फिर बौनेपन की समस्या देखी जा रही है. यह समस्या तीन साल पहले पंजाब के खेतों में भी सामने आई थी, जहां धान की सभी प्रकार की प्रजातियों में करीब 5 से 15 प्रतिशत तक फिजी वायरस पाया गया था. इस वायरस के प्रकोप से धान की पैदावार और पूरी फसल को काफी नुकसान हुआ था. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के पूर्व निदेशक डॉ. ए.के. सिंह के अनुसार, पंजाब के किसानों के धान में आई इस नई और अचानक बीमारी से पौधे बौने हो रहे हैं. यह फिजी वायरस ही धान के पौधों में बौनापन रोग का कारण बनता है, जिससे पौधे छोटे (बौने) रह जाते हैं. 

फिजी वायरस क्या है?

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के पूर्व निदेशक डॉ. ए.के. सिंह के अनुसार, फिजी वायरस पौधों में लगने वाला एक प्रकार का वायरस है. यह वायरस पौधों में व्हाइट बैकड प्लांट हॉपर (तेला) नामक कीट द्वारा एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है. यह कीट संक्रमित पौधों से रस चूसकर स्वस्थ पौधों में वायरस फैलाता है, जिससे धान के पौधे छोटे (बौने) रह जाते हैं और उनकी पैदावार पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. किसानों द्वारा इसे सफेद फुदका कीट या चेपा के नाम से भी जाना जाता है. कृषि वैज्ञानिकों ने इस रोग के कारण की पहचान सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) के रूप में की है, जिसे फिजी वायरस भी कहा जाता है. IARI के कृषि वैज्ञानिकों ने पौधे में वायरस की उपस्थिति की हर स्तर पर जांच की है. डॉ. सिंह के मुताबिक, प्रयोगशाला में धान की दूधिया अवस्था के दानों का भी परीक्षण किया गया, लेकिन संक्रमित पौधों के दानों में धान ड्वार्फिज्म वायरस नहीं पाया गया. यह एक राहत की बात है, क्योंकि इसका मतलब है कि यह बीज जनित रोग नहीं है और अगले साल बीज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

फिजी वायरस से बचाव कैसे करें?

फिजी वायरस से इस साल धान की फसल को बचाने के लिए, वायरस को फैलाने वाले कीट व्हाइट बैकड प्लांट हॉपर (WBPH) पर समय पर नियंत्रण करना आवश्यक है. WBPH के प्रकोप से धान की फसल को बचाने के लिए इसे मारने वाली दवा का समय पर छिड़काव करना बेहद ज़रूरी है. नियमित रूप से फसल की निगरानी करनी चाहिए, जिससे धान में बौनापन रोग फैलने से रोका जा सके. डॉ. ए.के. सिंह ने बताया कि धान की फसल के 12 से 15 दिन के पौधों में फिजी वायरस से बचाव के लिए इन कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है.
    • एसिफेट 75% - 2 मिली/लीटर पानी
    • ब्यूप्रोफेज़िन 70% - 0.5 मिली/लीटर पानी
    • डाइनोटेफ्यूरान 20% - 0.5 मिली/लीटर पानी
    • फ्लोनिकामिड 50% - 1 मिली/3 लीटर पानी
    • पाइमेट्रोज़िन 50% - 0.5 मिली/लीटर पानी 
    • सल्फोक्साफ्लोर 21.8% - 0.5 मिली/लीटर पानी 
      
इन केमिकल कीटनाशी दवाओ का छिड़काव कर आप अपनी धान की फसल को 20 से 25 दिन तक वायरस के प्रकोप से खराब होने से बचा पाएंगे. उन्होंने कि कहा कि प्रति एकड़ दवा की संतुलित मात्रा का ही उपयोग करें. यह अहम है कि किसान सफेद फुदका कीट जो धान की निचली सतह पर बैठकर रस चूसते हैं और रोग फैलाते हैं, उन पर नियंत्रण करें, जिससे बौना रोग का प्रसार न हो. चूंकि वायरस का कोई सीधा इलाज नहीं है, इसलिए किसानों को WBPH कीट के नियंत्रण के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए.

ये भी पढ़ें-
Paddy Farming: उत्‍पादन बढ़ा लेकिन मुनाफा घटा! तेलंगाना के धान किसानों के साथ यह कैसा मजाक 
खरीफ सीजन में नहीं कर पाए धान की बुवाई, तो इन फसलों से करें बंपर कमाई

MORE NEWS

Read more!