गेहूं में लगने वाले काला, भूरा और पीला रतुआ का ये है रामबाण इलाज, जान‍िए कैसे मौसम में ज्यादा होता है प्रकोप

गेहूं में लगने वाले काला, भूरा और पीला रतुआ का ये है रामबाण इलाज, जान‍िए कैसे मौसम में ज्यादा होता है प्रकोप

Advisory for Wheat Crop: मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि आलू में पछेता झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारंभ‍िक लक्षण दिखाई देने पर केप्टान @ 2 ग्राम प्रत‍ि लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. मटर और टमाटर की फसल में फल छेदक लगने पर बी.टी नियमन का छिड़काव करें. 

गेहूं की खेती के ल‍िए खतरनाक है पीला रतुआ रोग (Photo-ICAR).गेहूं की खेती के ल‍िए खतरनाक है पीला रतुआ रोग (Photo-ICAR).
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jan 31, 2024,
  • Updated Jan 31, 2024, 8:35 AM IST

इन द‍िनों गेहूं की फसल बहुत संवेदनशील दौर में होती है. ऐसे में पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने क‍िसानों के ल‍िए एडवाइजरी जारी की है. वैज्ञान‍िकों ने क‍िसानों से कहा है क‍ि मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें. काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें. पीला रतुआ के लिए 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. जबक‍ि 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से उपर इस रोग का फैलाव नहीं होता. दूसरी ओर भूरा रतुआ के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमी युक्त जलवायु आवश्यक होती है. इसी तरह  काला रतुआ के लिए 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान ओर नमी रहित जलवायु जरूरी होती है.

प्रमुख दलहन फसल चने भी रोगों के प्रत‍ि बहुत संवेदनशील होता है. इसमें फली छेदक कीट लग सकते हैं. इसके ल‍िए क‍िसी केम‍िकल का इस्तेमाल करने की बजाय खेतों में प्रत‍ि एकड़ 3 से 4 फीरोमोन ट्रैप लगाएं. यह व्यवस्था ऐसे खेतों में करनी चाह‍िए जहां पौधों में 40-45 फीसदी फूल खिल गए हों. आने वाले दिनों में हल्की बार‍िश की संभावना है. इस बात को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है की सभी खड़ी फसलों में उचित प्रबंधन करें. 

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भ‍िंडी की बुवाई कर सकते हैं क‍िसान 

  • इस सप्ताह तापमान को देखते हुए किसानों को सलाह दी गई है क‍ि वो भिंडी की अगेती बुवाई कर दें. इसके ल‍िए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों का चयन करें. बुवाई के ल‍िए खेतों को पलेवा कर देसी खाद डालकर तैयार करें. बीज की मात्रा 10-15 क‍िलोग्राम प्रत‍ि एकड़ होगी. 
  • तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों, मिर्च, टमाटर और बैंगन आदि की बुवाई पौधाशाला में कर सकते हैं. तैयार टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौधों की रोपाई कर सकते हैं. बीजों की व्यवस्था किसी प्रमाणिक स्रोत से करें.  
  • किसान एक बार कटाई के ल‍िए पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा), मेथी (पी.ई.बी, एच एम-1) की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 क‍िलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

आलू में झुलसा रोग का ये है समाधान 

मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि आलू में पछेता झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारंभ‍िक लक्षण दिखाई देने पर केप्टान @ 2 ग्राम प्रत‍ि लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी के ल‍िए खेतों में प्रत‍ि एकड़ 3 से 4 फीरोमोन ट्रैप लगाएं. 

मौसम को ध्यान में रखते हुए गाजर, मूली, चुकंदर और शलगम की फसल की निराई-गुड़ाई करें तथा चेपा कीट की निगरानी करें. मटर की फसल में फली छेदक कीट तथा टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी फिरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें. अगर कीट अधिक हो तो बी.टी नियमन का छिड़काव करें. रबी फसलों एवं सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि यह परांगण में सहायता करती है. इसल‍िए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दें.

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