देशभर में इन दिनों मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. छत्तीसगढ़ में भी यही हाल है, जिसके चलते यहां उमस भरी गर्मी (आर्द्रता) बढ़ गई है. ऐसे मौसम में यहां धान की फसल में कई रोग और कीटों के हमलों के मामले सामने आने हैं, जिसके चलते किसानों की चिंता बढ़ गई है. राज्य के कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसल की लगातार निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर सही वैज्ञानिक सलाह के अनुसार कीटनाशकों का सुरक्षित इस्तेमाल करें.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इन दिनों धान की फसल में तना छेदक, पत्ती लपेटक, गंधी बग, पेनिकल माइट, भूरा माहू, झुलसा रोग (ब्लास्ट) और शीथ ब्लाइट जैसी समस्याएं दिखाई दे रही हैं. विशेषज्ञों ने किसानों को इन कीट और रोगों की पहचान और रोकथाम के लिए उपयोगी सुझाव दिए हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक, पेनिकल माइट के लिए पत्तियों पर आंखनुमा धब्बे और गांठों का काला पड़ना देखा जाता है. इसे रोकने के लिए हेक्सीथायाजोक्स, प्रोपिकोनाजोल या प्रोपर्राजाईट का छिड़काव करें.
वहीं, भूरा माहू रोग रोकने के लिए पाईमेट्रोजिन या डाइनेट्रफ्युरान का इस्तेमाल करें और झुलसा रोग (ब्लास्ट) के लिए टेबुकोनाजोल, ट्राइफॉक्सीस्ट्रोबीन या ट्राइसाइक्लाजोल का छिड़काव करें. पत्तीमोड़क (चितरी) रोग से बचने के लिए फिपरोनिल का इस्तेमाल करें.
गंधी बग को रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या थायामेथोक्साम का प्रयोग करें. तना छेदक के लिए कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड या क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल का छिड़काव और फिरोमोन ट्रैप लगाना फायदेमंद होगा. वहीं, किसानों को सलाह है कि शीथ ब्लाइट को रोकने के लिए हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें.
कृषि विभाग ने बयान जारी कर कहा है कि किसान भाई/बहन कीटनाशक का इस्तेमाल करने से पहले स्प्रेयर की सफाई जरूर करें. छिड़काव करते समय दस्ताने पहनें और मुंह पर स्कार्फ या मास्क लगाएं और सभी जरूरी सुरक्षा नियमों का पालन करें.
विभाग किसानों को जैविक कीटनाशकों और पर्यावरण हितैषी उपायों को प्राथमिकता देने के लिए भी प्रेरित कर रहा है, जिससे विषमुक्त खेती और सुरक्षित भोजन उपलब्ध हो. किसी भी कीट या रोग की समस्या होने पर किसान अपने नजदीकी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी या कृषि विज्ञान केन्द्र से तुरंत संपर्क करें और वैज्ञानिक सलाह लें.
वहीं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केन्द्र महासमुंद द्वारा ग्राम धनसुली में निकरा परियोजना के तहत धान की फसल में कृषि ड्रोन तकनीक का सफल प्रदर्शन किया गया. किसानों को ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव की प्रक्रिया, तकनीकी जानकारी और इसके लाभ बताए गए.
विशेषज्ञों ने कहा कि ड्रोन से कम समय, कम लागत और कम श्रम में अधिक क्षेत्र में छिड़काव संभव है, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी. प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने कृषि में ड्रोन तकनीक के उपयोग और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की. किसानों ने इस तकनीक में गहरी रुचि दिखाई और इसे खेती के आधुनिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना.