
बिहार में एक ओर पछेती गेहूं की बुआई अपने अंतिम चरण की ओर है. वहीं दूसरी ओर कई अगेती रबी फसलों की सिंचाई सहित उर्वरकों का छिड़काव जारी है. कृषि में हो रहे इन कार्यों के बीच राज्य में सर्दी का ग्राफ भी बढ़ना शुरू हो चुका है. इसके साथ ही कई फसलों में रोगों सहित ठंड के कारण नुकसान की स्थिति भी देखने को मिल रही है.
इसी क्रम में दिसंबर महीने में रबी की विभिन्न फसलों में होने वाले बदलाव को लेकर बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (बिहार) की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें कृषि वैज्ञानिक मुख्य रूप से गेहूं, राई, मक्का सहित सब्जियों की खेती को लेकर सलाह दे रहे हैं.
बीएयू सबौर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं की बुआई को लेकर किसानों को विशेष सलाह जारी की गई है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन किसानों ने अभी तक पछेती गेहूं की बुआई नहीं की है, वे 25 दिसंबर तक बुआई पूरी कर लें. वहीं अधिक से अधिक दो से तीन दिन के भीतर गेहूं की बुआई कर लें, उसके बाद गेहूं की बुआई करने पर उत्पादन पर सीधा असर देखने को मिलेगा.
वैज्ञानिकों ने बताया कि गेहूं में उगने वाले चौड़ी और संकरी पत्तियों वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए पहली सिंचाई के बाद किसान सल्फोसल्फ्यूरान 33 ग्राम प्रति हेक्टेयर और मेट्सल्फ्यूरान 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर की मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल में छिड़काव करें.
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) के वैज्ञानिकों ने बताया कि जो राई की फसल 20 से 25 दिन की हो गई है, उसमें निकौनी और बछनी कर पौधे से पौधे की दूरी 12 से 15 सेंटीमीटर रखें. इसके साथ ही अगात बोई गई रबी मक्का की 50 से 55 दिन की फसल में किसान प्रति हेक्टेयर 50 किलो नाइट्रोजन का प्रयोग कर सकते हैं. इसके अलावा किसान मिट्टी चढ़ाने का काम भी शुरू कर दें और फसलों की नियमित निगरानी करते रहें.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय टमाटर की फसल में फल छेदक कीट का खतरा अधिक देखने को मिलता है, जिसमें इल्ली फल के अंदर घुसकर उसे पूरी तरह नष्ट कर देती है. इसकी रोकथाम के लिए किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाएं. साथ ही कीट का प्रकोप दिखाई देने पर सबसे पहले कीट से क्षतिग्रस्त फलों की तुड़ाई कर उन्हें नष्ट कर दें.
इसके बाद स्पिनोसैड 48 ई.सी. की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति 4 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. उन्होंने बताया कि यदि प्याज की नर्सरी 50 से 55 दिन की हो गई है, तो पौधों की रोपाई के लिए यह समय काफी उपयुक्त है. इसके साथ ही किसान लहसुन की निराई-गुड़ाई भी शुरू कर सकते हैं.