यूपी में ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूह ने जहरीले रसायनाें के इस्तेमाल से बनने वाले पेन्ट, पुट्टी और डिस्टेंपर काे बाजार में कड़ी चुनौती देते हुए गोबर से बने प्राकृतिक पेन्ट को लॉंच कर दिया है. बदायूं की ग्रामीण महिलाओं से शुरू हुआ यह सिलसिला अब उन्नाव होते हुए सूबे के 7 अन्य जिलों तक पहुंचाया जा रहा है.
सेहत के लिए नुकसानदायक माने गए कैमिकल पेन्ट और अन्य उत्पादों की बाजार से छुट्टी करने के लिए इन महिलाओं ने खादी के सहयोग से इस स्टार्टअप को गति प्रदान कर दी है. यूपी की याेगी सरकार भी इस स्टार्ट अप को भरपूर सहयोग दे रही है.
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गोबर से प्राकृतिक पेन्ट बनाने का पहला सफल प्रयोग 2021 में बदायूं जिले के रफियाबाद गांव में 'शिव पार्वती महिला स्वयं सहायता समूह' ने शुरू किया था. इस गांव की गौशाला में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के वित्तीय सहयोग से समूह की महिलाओं ने गोबर से पेन्ट बनाने का प्रयोग किया. इसमें तकनीकी सहयोग खादी ग्रामोद्योग की तरफ से दिया गया.
प्रयोग सफल होने के बाद इस काम को एक परियोजना के तौर पर शुरू किया गया. इसमें प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत इस समूह की महिलाओं को 6.95 लाख रुपये की सब्सिडी के साथ 19 लाख रुपये का लोन दिया गया. साथ ही यूपी के पशुपालन विभाग ने रफियाबाद गौशाला में इस समूह को बिना कोई किराया लिए लीज पर जगह मुहैया कराई.
इसके समानांतर जिले के अन्य गांवों के 350 महिला स्वयं सहायता समूहों को भी गौशालाओं में जगह उपलब्ध कराकर 3420 रुपये प्रति समूह की दर से सहायता राशि देकर गोबर से पेन्ट बनाने का हुनर सिखाया गया. ट्रेनिंग के बाद मनरेगा के तहत इन समूहों को गोबर से पेन्ट बनाने का संयंत्र लगाने के लिए 6.75 लाख रुपये की सहायता राशि देकर इस परियोजना को पूरे जिले में लागू किया गया.
ग्राम्य विकास विभाग की ओर से बताया गया कि बदायूं में गाय के गोबर से बने प्राकृतिक पेन्ट को बाजार में 2021 में ही लॉंच कर दिया गया था. इसके बाद बाजार में पेन्ट की मांग में तेजी से उछाल आया है. विभाग का दावा है कि अकेले बदायूं जिले में स्कूल, पुलिस थाना और पंचायत भवन आदि सरकारी इमारतों में इस्तेमाल के लिए 1.8 लाख लीटर पेन्ट की मांग पहली छिमाही में ही उत्पन्न हुई. इसके अलावा जिले के लगभग 250 खुदरा एवं थोक व्यापारियों की ओर से भी पहली तिमाही में लगभग 1 लाख लीटर पेन्ट की मांग उत्पन्न हुई.
इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस काम को अन्य जिलों में भी ग्रामीण महिलाओं की मदद से शुरू करने का निर्देश दिया. योगी ने बदायूं के समूह की महिलाओं से मुलाकात कर उन्हें अन्य जिलों की महिलाओं को इस काम की ट्रेनिंग देने को कहा. इसके बाद गोबर से पेन्ट बनाने का प्रयोग उन्नाव जिले में भी शुरू किया गया. उन्नाव के नवाबगंज ब्लॉक में अमरेठा गांव की गौशाला में गांव की महिलाओं के स्वयं सहायता समूह 'अन्नपूर्णा प्रेरणा लघु उद्योग' ने खादी के सहयोग से गाय के गोबर से प्राकृतिक पेन्ट बनाने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया है.
इस प्रयोग के दो चरण कामयाबी पूर्वक पूरे होने के बाद यूपी के उपमुख्ययमंत्री एवं ग्राम्य विकास विभाग के मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ग्रामीण महिलाओं के इस प्रयोग को राज्यव्यापी स्तर पर शुरू करने का आदेश दिया है. इसके पहले चरण में इस काम को 7 जिलों की महिलाओं के समूहों को सौंपा जा रहा है. इनमें वाराणसी, अमेठी, प्रतापगढ़, मथुरा, अलीगढ़़, गोरखपुर और गाजीपुर जिले शामिल हैं.
इन जिलों में ग्रामीण महिलाओं के समूहों को गाय के गोबर से पेन्ट बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है. संबंधित गांवों की गौशालाओं में इसके संयंत्र लगाए जा रहे हैं. विभाग ने जल्द ही इन जिलों में बड़े पैमाने पर गोबर से पेन्ट बनाने का काम शुरू होने की उम्मीद जताई है. इसके अगले चरण में अन्य जिलों में भी इस काम को आगे बढ़ाया जाएगा.
गांव की महिलाओं ने गाय के गोबर से जो पेन्ट बनाया है, वह केमिकल पेन्ट की तुलना में न केवल सस्ता बल्कि सेहत के लिए भी लाभप्रद है. देश की चार अग्रणी टेस्टिंग लैब से इस पेन्ट को सेहत के लिए सुरक्षित होने का प्रमाण पत्र मिला है. इनमें भारत सरकार की राष्ट्रीय परीक्षण शाला की गाजियाबाद और मुंबई शाखा के अलावा दिल्ली स्थित श्रीराम औद्योगिक शोध संस्थान और मुंबई की एजेंसी बायोटेक टेस्टिंग सर्विस की ओर से भी यह पेन्ट प्रमाण पत्र हासिल कर चुका है.
इन संस्थाओं ने इसे अन्य रायायनिक पेन्ट की तुलना में जहरीले रसायनों से पूरी तरह मुक्त होने, एंटीबेक्टीरियल होने और एंटी फंगल होने सहित 8 गुणों से लैस बताया है. गोबर से बना प्राकृतिक पेन्ट हीट इंशुलेटर की तरह काम करने के कारण दीवाराें की गर्मी को अवशोषित करता है. यह पूरी तरह से भारी धातुओं से मुक्त होने के कारण पर्यावरण हितैषी है, जहरीली गंध से रहित है और कीमत के लिहाज से सस्ता भी है.
गाय के गोबर से बने पेन्ट, डिस्टेंपर और वॉल पुट्टी को जहरीले रसायन युक्त सामान्य पेन्ट की तुलना में सस्ता बताया गया है. प्राकृतिक पेन्ट बनाने की लागत 60 रुपये प्रति लीटर बताई गई है. इसकी बाजार कीमत 90 से 180 रुपये प्रति लीटर तक है. वहीं, सामान्य पेन्ट की बाजार कीमत 120 से 250 रुपये प्रति लीटर तक है.
समूह द्वारा जारी मूल्य सूची के अनुसार प्राकृतिक वॉशेबल आर्कलिक डिस्टेंपर की कीमत 90 रुपये प्रति किग्रा है, जबकि नॉन वॉशेबल डिस्टेंपर की कीमत 70 रुपये प्रति किग्रा है. इस श्रेणी के सामान्य वॉशेबल डिस्टेंपर 120 और नॉन वॉशेबल डिस्टेंपर 100 रुपये प्रति किग्रा कीमत पर बाजार में मिलते हैं.
इसके अलावा प्राकृतिक इमल्शन पेन्ट की कीमत 180 रुपये प्रति लीटर है, वहीं सामान्य इमल्शन पेन्ट की कीमत 250 रुपये प्रति लीटर है. इसी प्रकार प्राकृतिक वॉल पुट्टी की 40 किग्रा की बोरी 700 रुपये की है और सामान्य पुट्टी की इतनी ही मात्रा 900 रुपये में मिलती है. इस प्रकार प्राकृतिक पेन्ट को पॉकेट और सेहत, दोनों लिहाज से मुफीद होने का दावा किया गया है.
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